सीतामढ़ी : सुरसंड प्रखंड के जनसेवक रहे नागेंद्र प्रसाद को सेवा से बरखास्त कर दिया गया है. बीडीओ की रिपोर्ट पर डीएम डॉ प्रतिमा ने उक्त कार्रवाई की है. श्री प्रसाद पर ड्यूटी से लगातार तीन वर्षो से अधिक तक अनुपस्थित रहने समेत अन्य कई गंभीर आरोप है. आरोपों की बाबत उन से बार-बार स्पष्टीकरण पूछा गया, पर वे जवाब नहीं दे सके. तब प्रशासन ने यह माना कि श्री प्रसाद को अपने बचाव में कुछ नहीं कहना है और उन्हें सेवा से बरखास्त कर दिया गया है.
सचिव के प्रभार में थे जनसेवक
बता दें कि वे सुरसंड प्रखंड की दीवारी मतौना के पंचायत सचिव के प्रभार में थे. वे मूल रूप से मुजफ्फरपुर जिले के दादर दुर्गा स्थान निवासी हैं. इस कार्रवाई से सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव समेत अन्य अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है.
सचिव का नहीं सौंपा प्रभार
श्री प्रसाद के पंचायत से लगातार अनुपस्थित रहने के कारण विकास कार्यो पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. न वे पंचायत में आ रहे थे और न ही सचिव का प्रभार सौंप रहे थे. वर्ष 2010 में उनके द्वारा राशन व केरोसिन का कूपन प्राप्त करने के बावजूद वितरण नहीं किया गया. उनके चलते पंचायत शिक्षकों के मानदेय का भुगतान प्रभावित हुआ. नियोजन संबंधित अभिलेख उपलब्ध नहीं कराने के कारण कई मामला अपीलीय प्राधिकार में लंबित है.
फर्जी हस्ताक्षर से निकासी
जारी आदेश में कहा गया है कि स्थानीय मुखिया नुसरत खातून ने चार फरवरी 11 को बीडीओ को पत्र भेज सूचित किया था कि श्री प्रसाद द्वारा फर्जी हस्ताक्षर से दो लाख 47 हजार 109 रुपये की निकासी कर ली गयी है. आरोपों की बाबत उनके आवासीय पता पर बार-बार पत्र भेजा गया, पर वे किसी पत्र का जवाब नहीं दिये. 17 सितंबर 14 को जिला नजारत प्रशाखा से विशेष दूत के माध्यम से श्री प्रसाद के आवास पर पत्र भेजा गया, जो उनके भाई समंत कुमार ने प्राप्त किया. भाई समंत ने विशेष दूत को यह बताया कि नागेंद्र प्रसाद घर पर नहीं रहते हैं.
श्री प्रसाद के खिलाफ बीडीओ ने प्रपत्र ‘क’ में आरोप गठित कर एसडीओ के माध्यम से जिला प्रशासन को उपलब्ध कराया. उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चली और उक्त आरोपों के लिए उन्हें दोषी पाया गया. कार्यवाही की रिपोर्ट मिलने पर डीएम का मानना है कि ‘श्री प्रसाद पर घोर लापरवाही, स्वेच्छाचारिता, उच्चधिकारियों के आदेश की अवहेलना, सरकारी कर्तव्यों के निर्वहन में उपेक्षा बरतने का आरोप प्रमाणित होता है.