सीतामढ़ी : शहर व प्रखंडों में बिना निबंधन के तमाम जांच घर चल रहे हैं. वैसे अब प्रशासन हरकत में आ गया है. कल तक विभागीय अधिकारी खामोश थे. इस पर लोगों का मानना है कि इस धंधे में कमीशन का बड़ा खेल होता होगा, इसी कारण कार्रवाई के बजाय खामोश रहना उचित समझा गया होगा.
प्रभात खबर के द्वारा जांच घरों का सच सामने लाने पर इसके संचालकों में हड़कंप मच गया है. अब वह दिन दूर नहीं जब अवैध जांच घर वालों का बोरिया-बिस्तर सिमट जायेगा. जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से जांच घरों के खिलाफ कार्रवाई की योजना बना ली गयी है.
35 से 70 फीसदी कमीशन
नाम न छापने की शर्त पर एक जांच घर के कर्मी ने कमीशन के पूरे खेल का खुलासा किया. बताया कि चर्चित जांच घर वाले संबंधित चिकित्सक (जो चिकित्सक जांच घरों को जांच के लिए मरीज रेफर करते हैं) को जांच शुल्क की कुल राशि का 35 फीसदी बतौर कमीशन देते हैं. मध्यम क्लास के जांच घर वाले 50 फीसदी एवं निम्न क्लास के जांच घर वाले मरीज रेफर करने वाले चिकित्सक को 70 फीसदी तक कमीशन देते हैं. इतना हीं नहीं, निम्न क्लास के जांच घर वालों को उक्त चिकित्सक के यहां सब्जी व अन्य सामान भी खरीद कर पहुंचाना पड़ता है. इसके बाद हीं इन जांच घरों को मरीज मिल पाता है.
सामने आया सच
संबंधित कर्मी के कमीशन के प्रतिशत के खुलासे के बाद प्रभात खबर को एक बार तो प्रतिशत का आंकड़ा सुन कर यकीन न हुआ, पर बाद में इसका सच सामने आ हीं गया. इस सच का पता लगाने के लिए प्रभात खबर की टीम एक जांच घर में पहुंची. वहां कुछ कर्मी बैठे थे. देखा गया कि टेबल पर एक रजिस्टर रखा हुआ है और उसमें कमीशन प्राप्त करने वाले चिकित्सकों का नाम लिखा हुआ है. हद तो यह कि चिकित्सक के नाम के सामने कमीशन की राशि का भी उल्लेख था. रजिस्टर पर कमीशन का प्रतिशत 50 फीसदी लिखा हुआ था. कमीशन की बात तब और यकीन में बदल गया जब उसी टेबल पर दर्जन से अधिक चिकित्सकों के नाम का लिफाफा देखा गया. बाद में यह खबर मिली कि इसी लिफाफा में संबंधित चिकित्सक को कमीशन की राशि भेजी जायेगी. बहरहाल, प्रशासनिक जांच के बाद हीं कमीशन के खेल का पूरा सच सामने आ सकेगा.