फोरेंसिक जांच के लिए पटना भेजा गया खोखा
सीतामढ़ी : दलित छात्र नेता किशोरी राम की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए नगर थाने की पुलिस सभी संभावित बिंदुओं पर अनुसंधान शुरू कर दिया है. घटनास्थल से मिले खून के नमूने व खोखा को फोरेंसिक जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला, पटना भेजा जा रहा है. मृतक किशोरी राम के मोबाइल का कॉल […]
सीतामढ़ी : दलित छात्र नेता किशोरी राम की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए नगर थाने की पुलिस सभी संभावित बिंदुओं पर अनुसंधान शुरू कर दिया है. घटनास्थल से मिले खून के नमूने व खोखा को फोरेंसिक जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला, पटना भेजा जा रहा है. मृतक किशोरी राम के मोबाइल का कॉल डिटेल भी खंगाला जा रहा है.
कॉल डिटेल से यह पता लगाने का प्रयास किया जायेगा कि घटना की सुबह किशोरी राम से किस किससे बात हुई थी. मृतक के भाई सीताराम राम द्वारा दर्ज प्राथमिकी में आंबेडकर कल्याण छात्रवास के छात्रों का नाम आने से अनुसंधान का ट्रैक अब घूम गया है.
सात छात्रों से था खतरा
मृतक के भाई ने प्राथमिकी में यह बताया है कि किशोरी राम ने हत्या से चार पांच दिन पहले पिता बिगू राम को एक पुरजा पर नाम लिख कर दिया था. जिसमें मनोज पासवान, ब्रजेश पासवान, हरि किशोर पासवान, वीरेंद्र पासवान, संतोष राम, विश्वनाथ पासवान एवं मंजय पासवान मिल कर धमकी दी थी.
सुलह का था दबाव
किशोरी के मित्र ननकार सिमरदह (सुप्पी) निवासी सुकेश्वर राम के पुत्र परमजीत कुमार ने भी बताया कि उसके गांव के मनीष सिंह, रंजीत सिंह, इंद्रजीत सिंह एवं आशुतोष सिंह बराबर दोहरे हत्याकांड(धर्मेद्र राम एवं भगवती राम की हत्या) से जुड़े मामले में केस सुलह करने का दबाव बना रहा है. किशोरी राम आरोपितों को सजा दिलाने के लिए उक्त केस में रुचि ले रहा था व गवाही भी कराया था. इस कारण आरोपितों द्वारा जान से मारने की धमकी दी जा रही थी.
डायरी से खुलेगा हत्या का राज!
उधर नगर थाने की पुलिस ने कल्याण छात्रवास स्थित कमरे से किशोरी राम का डायरी समेत कुछ कागजात जब्त किया है. जब्त कागजात और डायरी को हत्या के अनुसंधान में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पुलिस सूत्रों की माने तो डायरी में कुछ लोगों के नाम अंकित है. वह नाम किस किसका है, यह जांच का विषय बन गया है. प्रारंभिक अनुसंधान में पुलिस यह मान कर भी चल रही है कि छात्र नेता की जान को दोनों ओर से खतरा था. एक तरफ दोहरे हत्याकांड में गवाही तथा छात्रवास में वर्चस्व की लड़ाई जान पर बन आयी थी.