चतुर्थवर्गीय कर्मियों की नियुक्ति संबंधित आवेदनों की जांच पूरी
सीतामढ़ी : जिला स्तर पर चतुर्थवर्गीय कर्मियों की नियुक्ति में की गयी गड़बड़ी की जांच की कार्रवाई चल रही है. नियुक्ति को अभ्यर्थियों के द्वारा दिये गये आवेदन पत्रों की जांच मंगलवार को पूरी कर ली गयी. सभी 11 टीमों ने अपनी जांच रिपोर्ट तीन सदस्यीय जांच टीम को सौंप दी है. सूत्रों ने बताया […]
सीतामढ़ी : जिला स्तर पर चतुर्थवर्गीय कर्मियों की नियुक्ति में की गयी गड़बड़ी की जांच की कार्रवाई चल रही है. नियुक्ति को अभ्यर्थियों के द्वारा दिये गये आवेदन पत्रों की जांच मंगलवार को पूरी कर ली गयी. सभी 11 टीमों ने अपनी जांच रिपोर्ट तीन सदस्यीय जांच टीम को सौंप दी है.
सूत्रों ने बताया कि आवेदन पत्रों की जांच में कुछ त्रुटियां पायी गयी है. यानी कुछ ऐसे अभ्यर्थियों के आवेदन पत्र गायब पाये गये हैं, जिनकी नियुक्ति हो चुकी है और वे फिलहाल जिले के किसी न किसी कार्यालय में कार्यरत हैं. जांच में यह भी पाया गया है कि कई आवेदनों के साथ साइकिल चलाने का अनुभव प्रमाण पत्र व स्वास्थ्य संबंधित प्रमाण पत्र संलग्न नहीं है. इस तरह की अन्य कई त्रुटियां पायी गयी है.
कर्मियों को मिला था फार्म
जांच में शामिल कर्मियों को फॉर्म मिला था, जिस पर उल्लिखित विभिन्न बिंदुओं को आवेदन के आधार पर भरना था. जैसे आवेदक का नाम, पिता का नाम, उम्र, 1987 के पैनल का क्रमांक, 2003 की सूची का क्रमांक, नियोजनालय निबंधन संख्या, शैक्षणिक योग्यता, साइकिल चलाने का अनुभव, स्वास्थ्य संबंधित प्रमाण पत्र, भुगतान के आधार पर कार्य दिवस व प्रमाण पत्र के आधार पर कार्य दिवस आदि का उल्लेख करना था.
कार्य दिवस गंभीर मामला
कार्य दिवस का मामला विशेष गंभीर है. कारण कि बहुत से अभ्यर्थी दैनिक पारिश्रमिक पर काम करने का फर्जी प्रमाण पत्र आवेदन के साथ दिये थे. इस आधार पर कई की नियुक्ति हो जाने की बात कही जा रही है.जानकारों ने बताया कि सरकार के स्तर से एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें 240 दिन तक लगातार दैनिक पारिश्रमिक पर काम करने वालों को चतुर्थवर्गीय कर्मियों की नियुक्ति में प्राथमिकता देने की बात कही गयी थी.
यह आदेश 1985 तक काम करने वाले के लिए था. बाद में सरकार ने समय सीमा बढ़ा कर 12 नवंबर 90 कर दिया और कहा कि उक्त तिथि के बाद किसी से भी दैनिक पारिश्रमिक पर काम न लें. सूत्रों पर यकीन करे तों वर्ष 1990 के बाद दैनिक पारिश्रमिक पर काम लिया गया और बाद में कुछ की चतुर्थवर्गीय कर्मी के रूप में नियुक्ति की गयी.