भाषण शुरू होने के एक घंटे बाद उग्र हुई थी भीड़

डुमरा कोर्ट : समाहरणालय पर 11 अगस्त 98 को प्रदर्शन के दौरान करीब आठ-दस हजार भीड़ थी. मौके पर दंडाधिकारी के रूप में डीके वर्मा तैनात थे. उनके साथ अवर निरीक्षक अक्षयवट नाथ मिश्र थे. सुबह के करीब 10:30 बजे ही जनता दल के कार्यकर्ता गेट पर टेंट लगा कर भाषण देना शुरू कर दिये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 5, 2015 8:44 AM
डुमरा कोर्ट : समाहरणालय पर 11 अगस्त 98 को प्रदर्शन के दौरान करीब आठ-दस हजार भीड़ थी. मौके पर दंडाधिकारी के रूप में डीके वर्मा तैनात थे. उनके साथ अवर निरीक्षक अक्षयवट नाथ मिश्र थे. सुबह के करीब 10:30 बजे ही जनता दल के कार्यकर्ता गेट पर टेंट लगा कर भाषण देना शुरू कर दिये थे. 12 बजे तक करीब 10 हजार की भीड़ हो गयी थी. भाषण जारी था. एक घंटा बाद भीड़ उग्र होने लगी.
इनके नेतृत्व में प्रदर्शन
प्राथमिकी में कहा था, उग्र भीड़ का नेतृत्व क्रमश: पूर्व सांसद द्वय नवल किशोर राय व मो अनवारुल हक के अलावा मनोज कुमार, विपिन बिहारी यादव, सूर्यदेव यादव, मो शमीम, रामलगन राय, टिंकू सिंह, राम चरित्र राय, मदन राय, रामचंद्र शर्मा, मन्नू प्रसाद व विश्वनाथ बुंदेला कर रहे थे. उक्त नेता प्रशासन के विरुद्ध नारेबाजी किये, तो उनके साथ भीड़ भी जोर-जोर से नारेबाजी करने लगी थी.
दिया था भड़काऊ भाषण
प्राथमिकी में दंडाधिकारी श्री शर्मा ने कहा था कि आरोपित नवल किशोर राय व अनवारूल हक भड़काऊ बयान दिया था. भाषण सुनने के बाद समाहरणालय के मुख्य द्वार में ताला जड़ दिया गया था. इसी बीच, भीड़ ने दंडाधिकारी व पुलिस अधिकारी को धक्का देकर हटाने के साथ ही तोड़-फोड़ शुरू कर दी. अधिकारी व कर्मियों में त्रहिमाम मच गया था. रोड़ेबाजी में तत्कालीन डीएम व एसपी समेत अन्य सरकारी सेवक जख्मी हो गये थे.
भीड़ हो गयी थी उग्र
घटना के दौरान डीएम रहे रामनंदन प्रसाद ने कोर्ट में कहा था कि भीड़ सरकारी कर्मियों को खोज-खोज कर मारने लगी. लोग बोल रहे थे कि सभी को पीटो, राइफल छीनों और समाहरणालय में आग लगा दो. आग्रह के बावजूद उग्र भीड़ शांत नहीं हुई. रोड़ेबाजी के चलते उनके शरीर पर तीन जगह जख्म के निशान हो गये. उन्हें भी लाठियां लगी. उनके साथ रहे एसपी परेश सक्सेना को भी पत्थर लगा था, तब ज्गोली चलायी गयी थी.
वाहन पर लाया गया था रोड़ा
तत्कालीन डीएम ने गवाही के दौरान कहा था कि प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर पर रोड़ा लेकर आये थे. इसके साथ कट्टा, फट्टा, लाठी व झंडा लेकर आये थे. तत्कालीन एसपी परेश सक्सेना ने कोर्ट में दिये अपने बयान में कहा था कि अनवारुल हक व नवल किशोर राय समाहरणालय के मेन गेट के पिलर पर चढ़ कर संबोधित कर रहे थे और भीड़ को उकसा रहे थे. मनोज कुमार भी भीड़ को उकसा रहे थे.

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