Sitamarhi 53rd Foundation Day: नीली रौशनी से जगमगाया शहर, स्थापना दिवस पर जानें सीतामढ़ी का इतिहास
Sitamarhi 53rd Foundation Day: जिले में 53वां स्थापना दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. सभी सरकारी कार्यालयों को नीली कृत्रिम रौशनी से सजाया गया है. आज परेड ग्राउंड में भव्य समारोह का भी आयोजन किया गया है. स्थापना दिवस के मौके पर जानें जिले का इतिहास…
Sitamarhi 53rd Foundation Day: सीतामढ़ी जिले का 53वां स्थापना दिवस आज यानी 11 दिसंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा. उर्दू मुशायरा से जिले के स्थापना दिवस समारोह का आगाज होगा. इसकी व्यापक तैयारियां की गई हैं. कलेक्ट्रेट और अन्य सरकारी कार्यालयों को नीली कृत्रिम रौशनी से सजाया गया है, इससे ये जगहें देखने में काफी आकर्षक लग रही हैं. जिला प्रशासन ने सभी सरकारी कार्यालय कलेक्ट्रेट, अनुमंडल कार्यालय और प्रखंड कार्यालयों में नीली रौशनी लगाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया था.
36 विभागों के लगाए जाएंगे स्टॉल
स्थापना दिवस का मुख्य समारोह आज परेड ग्राउंड में आयोजित होगा, जहां भव्य पंडाल का निर्माण किया गया है. इस आयोजन में 36 विभागों के स्टॉल लगाए जाएंगे. इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, आईसीडीएस, श्रम संसाधन, नियोजन, सामाजिक सुरक्षा, विद्युत, डाकघर, बैंक और मद्य निषेध जैसे महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट शामिल हैं.
सुबह 11 बजे होगा उद्घाटन
इन स्टॉल्स के माध्यम से लोगों को विभाग की योजनाओं और उपलब्धियों को बताया जाएगा ताकि लोग जागरूक हो सकें. 11 दिसंबर को स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन सुबह 11:00 बजे किया जाएगा. इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा. आयोजन में बिहार की लोक संगीत और लोकगीतों की भी प्रस्तुति की जाएगी. कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों के अलावा बाहरी कलाकार भी शामिल हैं, जो अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे. समारोह के दौरान विभिन्न खेल गतिविधियां भी आयोजित की जाएंगी, जो जिले के सांस्कृतिक धरोहर को और भी समृद्ध बनाएंगी.
1934 के भूकंप में तबाह हो गया था जिला
सीतामढ़ी जिला 11 दिसंबर 1972 को मुजफ्फरपुर जिले से अलग होकर बना था. यह बिहार के उत्तरी भाग में स्थित है. इसका मुख्यालय सीतामढ़ी से पाँच किलोमीटर दक्षिण में डुमरा में स्थित है. जनवरी 1934 में आए सबसे भयानक भूकंप में सीतामढ़ी शहर के तबाह हो जाने के बाद जिला मुख्यालय को यहां स्थानांतरित कर दिया गया था.
जिले का पौराणिक इतिहास
सीतामढ़ी हिंदू पौराणिक कथाओं में एक पवित्र स्थान माना गया है. इसका इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ है. ऐसी मान्यता है कि माता सीता एक मिट्टी के बर्तन से तब जीवित हुई थीं, जब राजा जनक भगवान इंद्र को बारिश के लिए मनाने के लिए सीतामढ़ी के पास कहीं खेत जोत रहे थे. ऐसा कहा जाता है कि राजा जनक ने उस स्थान पर एक तालाब खुदवाया था, जहाँ सीता प्रकट हुई थीं और उनके विवाह के बाद उस स्थान को चिह्नित करने के लिए राम, सीता और लक्ष्मण की पत्थर की आकृतियाँ स्थापित की गईं. इस तालाब को जानकी-कुंड के नाम से भी जाना जाता है, जो जानकी मंदिर के दक्षिण में स्थित है.