बदरंग हो रही प्रेमनगर पंचायत की सूरत

सीतामढ़ी : संपूर्ण स्वच्छता अभियान का लाभ नहीं मिलने के कारण जिले के रून्नीसैदपुर प्रखंड अंतर्गत प्रेमनगर पंचायत की सूरत बदरंग हो गयी है. कुछ लोगों ने सरकारी योजना का लाभ मिलने की उम्मीद पर उधार लेकर शौचालय का निर्माण कराया, किंतु रिश्वत नहीं देने के कारण आज तक उनका भुगतान नहीं हुआ है. जिससे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 1, 2015 7:34 AM
सीतामढ़ी : संपूर्ण स्वच्छता अभियान का लाभ नहीं मिलने के कारण जिले के रून्नीसैदपुर प्रखंड अंतर्गत प्रेमनगर पंचायत की सूरत बदरंग हो गयी है. कुछ लोगों ने सरकारी योजना का लाभ मिलने की उम्मीद पर उधार लेकर शौचालय का निर्माण कराया, किंतु रिश्वत नहीं देने के कारण आज तक उनका भुगतान नहीं हुआ है.
जिससे निराश होकर दूसरे ग्रामीणों ने शौचालय निर्माण में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी. इस वजह से पंचायत की अधिकांश सड़कों को शौचालय स्थल बना दिया गया है.
मुखिया पति कुमार युगल किशोर बताते है कि सामाजिक कार्यो में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने के कारण पंचायत के लोगों ने उनकी पत्नी कुमार किरण देवी को भारी बहुमत से चुनाव जिताया. जनता के भरोसे पर खड़ा उतरते हुए अब तक पंचायत की 75 प्रतिशत सड़कों का पक्कीकरण किया जा चुका है. सार्वजनिक स्थल पर 16 सोलर लाइट की व्यवस्था कर रौशनी की पर्याप्त व्यवस्था की गयी है. इसके अलावा भी कई विकास कार्यो को किया गया है. इस संबंध में जिला समन्वयक प्रदीप कुमार ने शौचालय निर्माण व भुगतान में किसी प्रकार की अनियमितता से इनकार किया.
सड़क बना शौचालय स्थल
शौचालय के अभाव में पंचायत की खूबसूरती बदरंग हो रही है. कारण है कि पंचायत की तकरीबन 10 हजार जनसंख्या में आधी से अधिक आबादी बीपीएल के तहत आती है. आर्थिक तंगी के कारण वे घर में शौचालय का निर्माण नहीं करवा पा रहे है. जिस कारण सड़कों का इस्तेमाल शौचालय के रूप में किया जा रहा है. खासतौर पर मुख्य सड़क पर पैदल चलना भी दुश्वार है.
प्रखंड समन्वयक मांग रहे रिश्वत
श्री युगल बताते हैं कि संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत कभी विभाग ने कैंप का आयोजन किया, कभी जागरूकता कार्यक्रम भी नहीं चलाया गया. वे कई दफा विभाग का चक्कर काट चुके हैं.
विभाग ने शौचालय निर्माण के लिए सर्वे कराया. विभागीय सहमति से कुछ लोगों ने शौचालय का निर्माण कराया. निर्माण के बाद जब वे प्रखंड समन्वयक अजय कुमार रंजन से मिले, तो प्रति शौचालय भुगतान के एवज में तीन हजार रुपये की मांग की गयी. इससे ग्रामीणों ने शौचालय निर्माण के प्रतिउदासीन हो गये. गंदगी के कारण गांव में संक्रमण बीमारी का भी भय बना रहता है.

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