नहीं बदली अदौरी गांव की तसवीर
नहीं बदली अदौरी गांव की तसवीर फोटो.एसइ-1 जर्जर अस्पताल भवन. तार विहीन पोल. शिवहर. प्रखंड अदौरी गांव की तस्वीर आजतक भी नहीं बदली हैं. सड़क, शिक्षा, बिजली, पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं से ग्रामीण आज भी वंचित हैं. पुरनहिया प्रखंड मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर बागमती नदी के उत्तर अदौरी गांव स्थित है. मुख्यालय […]
नहीं बदली अदौरी गांव की तसवीर फोटो.एसइ-1 जर्जर अस्पताल भवन. तार विहीन पोल. शिवहर. प्रखंड अदौरी गांव की तस्वीर आजतक भी नहीं बदली हैं. सड़क, शिक्षा, बिजली, पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं से ग्रामीण आज भी वंचित हैं. पुरनहिया प्रखंड मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर बागमती नदी के उत्तर अदौरी गांव स्थित है. मुख्यालय से एक किलोमीटर तक की दूरी पर बसंतपट्टी चौक तक की सड़कें चकाचक हैं. उसके बाद अदौरी गांव में प्रवेश करते ही गांव की तसवीर विकास की पोल खोलती नजर आती हैं. प्रभात खबर की टीम ने गांव में जाकर लोगों से बातचीत की. पेश है कुछ अंश.ग्रामीण 55 वर्षीय अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि वर्षों बाद बागमती नदी पर पुल बन जाने से जिला मुख्यालय के लोगों को थोड़ी राहत तो मिली है लेकिन सड़क पानी स्वास्थ्य सुविधा में सुधार होना जरुरी है, कितने नेता आये और विकास का झांसा देकर चले गये. करीब पांच दशक बाद इस पंचायत में अस्पताल का उद्घाटन हुआ. लोगों को स्वास्थ्य सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा है. इसके पूर्व झोला छाप डाॅक्टर के सहारे इलाज किया जाता था. आज भी नीम हकीम के सहारे रेंगती है यहां की चिकित्सा व्यवस्था. इमरजेंसी में मरीज को शिवहर व सीतामढ़ी ले जाने की मजबूरी हो जाती है वर्ष 1988 में इस गांव में विद्युतीकरण हुआ, कही पोल एवं तार लगाया गया. तो कही पोल गड़ा , तो तार लगाना विभाग भूल ही गया. ऐसे में किसी तरह 10 प्रतिशत लोग बिजली प्राप्त कर रहे हैं. अभी भी 90 प्रतिशत लोग बिजली की सुविधा से वंचित हैं. आज तक किसी को भी बिजली की सुविधा आवश्यक है, इसकी याद नहीं आयी. ग्रामीण लखन कुमार सिंह ने बताया कि बिजली के लिए आधा-आधा किलो मीटर से अपना तार पोल पर से ले जाकर बिजली प्राप्त करना मजबूरी है. 24 घंटे में मात्र दस से बारह घंटे ही बिजली रहती है कभी-कभी तो कई दिनों तक बिजली से वंचित रहना पड़ता है, वही 65 वर्ष पार कर चूके माधव राय व भूना पासवान ने बताया कि बागमती नदी के उस पार से जो भी नेता आये ,चुनाव में जीत कर चले गये और उसके बाद नदी के इस पार के लोगों की समस्याओं के निदान के लिए विकास कार्य कराने को भूल गये. 52 वर्षीय अशोक कुमार सिंह व विपिन कुमार सिंह ने बताया कि इस पंचायत की अाबादी लगभग 8 हजार है, जबकि सरकार द्वारा पांच हजार की आबादी पर एक डाक्टर होना चाहिए. कहा कि आयुष डाक्टर तो है, जो समय पर लोगो को स्वास्थ्य सुविधा देते हैं लेकिन एमबीबीएस चिकित्सक की सेवा संतोषजनक नहीं हैं. अस्पताल में अंग्रेजी दवा का भी अभाव है शिक्षा के लिए एक हाइस्कूल है, पर पर्याप्त संख्या में शिक्षक नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है. शौचालय का यह हाल है पूंजीपति लोगों के पास शौच की सुविधा है और गरीब को नहीं है, जो सड़कों के दोनों तरफ खुले में शौच करते नजर आते हैं. इस पंचायत में अधिकांश लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक नहीं हैं. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण प्रमंडल द्वारा आज तक दस गांव में पानी टंकी निर्माण नहीं कराया गया है. जिससे अधिकांश लोगों को स्वच्छ पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.