30 साल बाद कांग्रेस को मिला अपना विधायक

30 साल बाद कांग्रेस को मिला अपना विधायक खलील अंसारी ने वर्ष 1985 में दिलायी थी जीतवर्ष 2010 के चुनाव में मोतीलाल से पराजित हुए थे टुन्नासीतामढ़ी. 30 साल बाद कांग्रेस को अमित कुमार टुन्ना के रुप में अपना विधायक मिला है. 1985 के बिहार विधानसभा चुनाव में सीतामढ़ी से खलील अंसारी को जीत मिली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 8, 2015 7:00 PM

30 साल बाद कांग्रेस को मिला अपना विधायक खलील अंसारी ने वर्ष 1985 में दिलायी थी जीतवर्ष 2010 के चुनाव में मोतीलाल से पराजित हुए थे टुन्नासीतामढ़ी. 30 साल बाद कांग्रेस को अमित कुमार टुन्ना के रुप में अपना विधायक मिला है. 1985 के बिहार विधानसभा चुनाव में सीतामढ़ी से खलील अंसारी को जीत मिली थी. इसके बाद 1990 के चुनाव में शाहिद अली खान ने जनता दल के टिकट पर जीत दर्ज कर कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था. तब जनता दल की लहर में कांग्रेस कई दौर के चुनाव में हार का ही सामना करती रही. हालांकि लालू प्रसाद के राजद के साथ गंठबंधन में भी उसके प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर सके थे. वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में अमित कुमार टुन्ना को कांग्रेस ने पहली बार रीगा विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया था. उक्त चुनाव में भाजपा के मोतीलाल प्रसाद ने श्री टुन्ना को 23 हजार के बड़े अंतर से पराजित कर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. समाज सेवक के रुप में स्थापित कियाइस बार परिणाम ठीक विपरीत रहा और टुन्ना को कांग्रेस विधायक के रुप में विधानसभा पहुंचने का गौरव प्राप्त हुआ है. टुन्ना की जीत में सभी वर्गों का समर्थन मिलना महत्वपूर्ण कारक माना जा रहा है. समाजसेवा के रुप में खुद को स्थापित करनेवाले टुन्ना ने सामान्य वर्ग के साथ-साथ दलित, अतिपिछड़ा, अल्पसंख्यक वर्ग में अपनी लोकप्रियता को बखूबी भुनाया. क्रिकेट के शौकीन रहे हैं टुन्ना21 जून 1978 को जन्मे अमित कुमार टुन्ना मूल रूप से रीगा प्रखंड के सोनार गांव के रहनेवाले हैं. कला से स्नातक टुन्ना को राजनीति विरासत में मिली है. उनके पिता स्व राजेंद्र प्रसाद सिंह वर्ष 1980 से 2006 तक वह बथनाहा विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव भी लड़े थे. क्रिकेट के शौकीन टुन्ना ने अपने विधानसभा क्षेत्र में कई टूर्नामेंट भी कराये हैं. इसके कारण युवा वर्ग में भी उनकी खास लोकप्रियता रही है.

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