आयुर्वेद शास्त्र के प्रतिक धनवंतरी जयंती(धनतेरस) आज
आयुर्वेद शास्त्र के प्रतिक धनवंतरी जयंती(धनतेरस) आज फोटो नंबर- 33 ज्योतिषाचार्य डॉ काली कांत झासीतामढ़ी. आज कार्तिक त्रयोदशी तिथि को महर्षि धनवंतरी के जन्म दिवस के रूप में धनतेरस पूजन लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाएगी. बताया जाता है कि आयुर्वेद शास्त्र के प्रतिक महर्षि धनवंतरी के जन्म दिवस पर धनतेरस की पूजा-अर्चना करने की परंपरा […]
आयुर्वेद शास्त्र के प्रतिक धनवंतरी जयंती(धनतेरस) आज फोटो नंबर- 33 ज्योतिषाचार्य डॉ काली कांत झासीतामढ़ी. आज कार्तिक त्रयोदशी तिथि को महर्षि धनवंतरी के जन्म दिवस के रूप में धनतेरस पूजन लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाएगी. बताया जाता है कि आयुर्वेद शास्त्र के प्रतिक महर्षि धनवंतरी के जन्म दिवस पर धनतेरस की पूजा-अर्चना करने की परंपरा है. ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ काली कांत झा ने बताया कि ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार महर्षि धनवंतरी स्वयं भगवान विष्णु के अंशावतार हैं. इसलिए विष्णु समेत लक्ष्मी की पूजन का प्रावधान है. उनकी उत्पत्ति जल अर्थात समुद्र से हुई है, जहां से अमृत व विष का पादुर्भाव हुआ. नारायण भगवान विष्णु के बैकुंठनाथ के अंश से उत्पन्न होकर धनवंतरी स्वयं समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से प्रकट हुए थे. अतएव धनवंतरी जयंती के रूप में धनतेरस की पूजा-अर्चना की जाती है. विष्णु सहित लक्ष्मी की आराधना मानव हित के लिए परम कल्याणकारी माना गया है. उसी के प्रतीक के रूप में लोग अर्थ संग्रह यथा पात्र, द्रव्य समेत धन से संबंधित वस्तु का संग्रह करना श्रेयस्कर मानते हैं. ‘शरीर मादयम् खलुधर्म साधनम्’ अर्थात् पहले शरीर यानी स्वास्थ्य, तदुपरांत धन की चिंतन करने की व्यवस्था दी गयी है. ऐसी स्थिति में संग्रह से पूर्व शायं काल के सूर्यास्त के समय अर्थात् गोधुली बेला में धनवंतरी की पूजन करने से धन, यश, मान-सम्मान एवं स्वास्थ्य की रक्षा होती है. अत: हम मनुष्यों को धनवंतरी की आराधना करना परम धर्म माना गया है.धनतेरस पूजन का विधानसंभव हो, तो पूजा स्थल पर धनवंतरी की प्रतिमा नारियल फल के साथ कलश स्थापित करें. कलश पर महर्षि धनवंतरी का आवाहन कर दिकपाल व नवग्रह पूजन के साथ ही धनवंतरी पूजन एवं उसी कलश पर धन की परमाध्य देवी लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए. पूजन के अंत में हवन के द्वारा पूजन का पूरणत्व प्राप्त करना चाहिए और यह सभी प्रक्रियाएं रात्रि 10 बजे के पूर्व में ही करना चाहिए. ऐसा करने से स्वास्थ्य, आयु एवं धन की दिन व दिन वृद्धि होती है. फोटो नंबर- 40 सड़क किनारे पटाखा व लक्ष्मी की प्रतिमा की सजी दुकानें–धनतेरस पर खरीदारी में जुटे लोग पुपरी : स्थानीय बाजार में धनतेरस की खरीदारी के लिए रविवार को काफी चहल-पहल रहा. आवश्यक सामानों की खरीदारी को लेकर लोग बड़ी संख्या में बाजार में निकले. बता दें कि चुनाव को लेकर कुछ दिनों से बाजार के व्यवसायी काफी मंदी महसूस कर रहे थे. रविवार को धनतेरस की खरीदारी को लेकर व्यवसायी काफी हद तक खुश दिख रहे थे. सड़क किनारे लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा के अलावा पटाखों व बरतनों की दुकाने सज गयी है. व्यवसायी मनोज केजरीवाल, अमर प्रसाद, विनोद स्वर्णकार आदि ने बताया कि अन्य वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष चुनाव व नेपाल की हालात के चलते आभूषण, कपडा व प्रतिमाओं की बिक्री कम है, जिसके चलते बाजार में काफी मंदी देखा जा रहा है. वाहनों की खरीदारी जोरों परफोटो नंबर- 35 व 36 वाहन की खरीद करते ग्राहक, बरतन की खरीद करते ग्राहक सीतामढ़ी : शहर के विभिन्न वाहन शो रूम में धनतेरस के अवसर पर वाहन खरीदने के लिए विगत कई दिनों से लोग बाईक की बूकिंग करा रहे हैं. आज धनतेरस के अवसर पर विभिन्न बाइक शो रूम में ग्राहकों की भारी भीड़ देखने को मिलेगा. इस दिन वाहन खरीदने की प्रथा है. करीब-करीब सभी वाहन शो रूम में विगत कई दिनों से बूकिंग कराने वालों का तांता लगा हुआ है. वहीं बरतन व आभूषणों की दुकानों पर भी विगत दो-तीन दिनों से ग्राहकों की भारी भीड़ देखने को मिल रहा है. हालांकि व्यवसायियों का मानना है कि अन्य वर्षों की अपेक्षा नेपाल की समस्या को लेकर बाजार में स्पष्ट रूप से मंदी का माहौल है. बताया कि नेपाल से रोजाना हजारों की संख्या में लोग यहां खरीदारी करने आते थे. नेपाली ग्राहक के नहीं आने से स्थानीय बाजार मंदी की चपेट में है. शहर के बाजार में सोना-चांदी का भावस्वर्ण व्यवसायी विजय प्रसाद व रितेश कुमार समेत अन्य ने बताया कि स्थानीय बाजार में सोना की कीमत 26,400 से 28,600 रुपये प्रति भरी, चांदी की कीमत 35,800 से 4000 रुपये प्रति किलो, चांदी का सिक्का 850 से 900 रुपये तक है.