एसएसबी ने मनाया 52 वां स्थापना दिवस

एसएसबी ने मनाया 52 वां स्थापना दिवस फोटा-23 जवानों को संबोधित करते द्वितीय सेनानायक मुन्ना सिंह, 24 अनुशासन में खड़े जवान, 25 म्यूजिकल चेयर प्रतियोगिता में शामिल महिलाएं, 26 रस्सा-कस्सी प्रतियोगिता में अधिकारी व जवान, 27 जलेबी दौड़ में शामिल बच्चे 20 दिसंबर 1963 को हुआ था एसएसबी का गठन स्थापना दिवस पर कार्यालय परिसर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2015 8:15 PM

एसएसबी ने मनाया 52 वां स्थापना दिवस फोटा-23 जवानों को संबोधित करते द्वितीय सेनानायक मुन्ना सिंह, 24 अनुशासन में खड़े जवान, 25 म्यूजिकल चेयर प्रतियोगिता में शामिल महिलाएं, 26 रस्सा-कस्सी प्रतियोगिता में अधिकारी व जवान, 27 जलेबी दौड़ में शामिल बच्चे 20 दिसंबर 1963 को हुआ था एसएसबी का गठन स्थापना दिवस पर कार्यालय परिसर में विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन प्रतिनिधि, सीतामढ़ी. पूरे जोश व जज्बे के साथ रविवार को एसएसबी का 52 वां स्थापना दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया. मौके पर औद्योगिक क्षेत्र परिसर स्थित 51 वीं बटालियन के कार्यालय परिसर में विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सबसे पहले द्वितीय सेनानायक मुन्ना सिंह को सम्मान गारद दी गयी. मौके पर सहायक सेनानायक विजय दीक्षित व तेजप्रीत सिंह भी मौजूद थे. सुरक्षा की भावना पैदा करेंजवानों को संबोधित करते हुए द्वितीय सेनानायक श्री सिंह ने कहा कि 1963 में चाइना की ताकत भारत को दुश्वार लग रहा था. चीन का मुकाबला करने के लिए ही 20 दिसंबर 1963 को एसएसबी का गठन किया गया था. 1947 से 2000 तक भारत-चीन सीमा पर कोई खतरा नहीं था. इसी कारण एसएसबी को 15 जनवरी 2001 को भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा में लगा दिया गया. बॉर्डर क्षेत्र के लोगों का सहयोग मिलता रहा है. लोगों में सुरक्षा की भावना पैदा करनी है. ऐसा हो भी रहा है. तभी तो राज्य व केंद्र सरकार भी एसएसबी की प्रशंसा करती है. तस्करी पर पूरी तरह लगाम नहीं श्री सिंह ने जवानों से कहा कि हम सबों का दायित्व बॉर्डर पर तस्करी को रोकने का भी है. तस्करों पर पैनी नजर रखनी है. इसमें हम सब पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहे हैं. अपनी कमियों को दूर करने की जरूरत है. जवानों को अपने स्वार्थ को त्याग कर पूरी ईमानदारी के साथ दायित्वों का निर्वहन करने की बात कही. उनका कहना था कि आपसी तालमेल बना कर व ईमानदारी से काम करने पर उपलब्धि जरूर मिलेगी. मधेसियों को मदद का संकेत द्वितीय सेनानायक ने नेपाल में जारी मधेस आंदोलन पर भी प्रकाश डाला और बॉर्डर पर रहने वाले जवानों को मधेसियों की मदद करते रहने का संकेत दिया. वहीं तस्करी पर लगाम लगाने की बात कही. कहा, जवानों ने कई काम किये, जो काफी प्रशंसनीय है. गढ़ी माई मेला में अन्य वर्ष करीब पांच लाख मवेसी की बली दी जाती थी. गत वर्ष जवानों की सतर्कता के चलते क्षेत्र से वहां मवेशी नहीं जाने दिया गया. नतीजतन गढ़ी माइ मेला में मात्र 30 हजार पशुओं की बली दी जा सकी. नेपाल में आये भूकंप के बाद वहां से लौटे पीड़ितों की हर संभव सेवा के लिए जवानों की तारीफ की. मानव तस्करी पर रोक के लिए जवानों की कोशिश की भी प्रशंसा की. कुछ जवानों के चलते बदनामी द्वितीय सेनानायक ने कहा कि हर क्षेत्र में कुछ लोग होते हैं, जिनके चलते वह विभाग व संस्था बदनाम होता है. यहां भी ऐसी स्थिति है. कुछ जवानों के चलते वाहिनी की बदनामी होती है. अनुशासनहीनता के कई मामले सामने आये थे. जवानों को यह कह कर सचेत रहने का संकेत दिया कि बीओपी से बगैर सूचना के गायब रहने वाले दो जवानों को सेवा से मुक्त कर दिया गया था. कहा, वेतन मिलता है. बेईमानी न करे,अन्यथा भ्रष्टाचार एक दिन उन्हें निगल जायेगा. बॉक्स में :-प्रतियोगिताओं का आयोजन म्यूजिकल चेयर प्रतियोगिता में पूजा, आशा व सजना ने प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त की. इसमें मोनिका, साधना, गुंजन, ज्योति, संगीता, प्रियंका, श्वेता, नवनिता, विनीता, रेणु व बबली आदि ने भाग ली. जलेबी दौड़ में मानवी, वेदांत व सिद्धि ने क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया. इस दौड़ के पूर्व द्वितीय सेनानायक ने बच्चों से हाथ मिला उनकी हौसला अफजाई की. अधिकारी बनाम जवान के बीच रस्सा-कस्सी हुई. तीसरे राउंड में अधिकारियों की टीम बाजी मार ली. और भी कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. सफल प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया.

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