पता नहीं कब हमारे रगों में उबाल आयेगा
पता नहीं कब हमारे रगों में उबाल आयेगा फोटो-24 सम्मानित कवि सुरेश वर्मा व अन्य. सीतामढ़ी. जिले की साहित्यिक संस्थाओं द्वारा गीता भवन, डुमरा के सभागार में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. अध्यक्षता इंजीनियर सत्येंद्र कुमार हीरा व संचालन गीतकार गीतेश ने किया. मुख्यअतिथि के रूप में फिल्म निर्माता डाॅ शंकर सिन्हा मौजूद थे. […]
पता नहीं कब हमारे रगों में उबाल आयेगा फोटो-24 सम्मानित कवि सुरेश वर्मा व अन्य. सीतामढ़ी. जिले की साहित्यिक संस्थाओं द्वारा गीता भवन, डुमरा के सभागार में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. अध्यक्षता इंजीनियर सत्येंद्र कुमार हीरा व संचालन गीतकार गीतेश ने किया. मुख्यअतिथि के रूप में फिल्म निर्माता डाॅ शंकर सिन्हा मौजूद थे. सुरेश लाल कर्ण की रचना से कवि सम्मेलन का आगाज हुआ. गीतकार गीतेश की रचना ‘आते हैं कितने मिस कॉल, किसी मिस का कॉल नहीं आता, शांति की बैठक रोज यहां, अमन का माहौल नहीं आता’ पर श्रोता लोट- पोट हो गये. सुरेश वर्मा की रचना ‘बिना पता जाने वह आखिर कैसे आया होगा, दुख को मेरे घर का रास्ता कोई तो दिखाया होगा’, वाल्मीकि कुमार की रचना ‘नहीं कोई राम पर कीचड़ उछालेगा’ की खूब सराहना की गयी. रामबाबू सिंह की रचना ‘रोज कीर्तिमान के नये पताके फहराती है बेटियां’, सत्येंद्र मिश्र की ‘ अच्छे दिन के आस में गुजर गया यह साल’, डाॅ शंकर सिन्हा की ‘एक हसीन सुबह राह देख रही है’, अशोक कुमार सिंह की ‘अब वतन के आदमी को फिर बदलना चाहिए’, इंजीनियर सचिंद्र कुमार हीरा की ‘ एक सत्य है पैसा, सबसे बड़ा है पैसा’, जितेंद्र झा आजाद की रचना ‘ पता नहीं कब हमारे रगों में उबाल आयेगा’ पर खूब तालियां बजी. डा शत्रुघ्न यादव, डा आनंद प्रकाश वर्मा, उमाशंकर लोहिया, शफी आजीज व तौहिद अश्क ने भी अपनी रचनाओं से महफिल को सराबोर कर दिया. मौके पर धीरज कुमार, उज्ज्वल, वर्षा आनंद व जयंत कृष्ण भी मौजूद थे. बॉक्स में :- सम्मानित किये गये सुरेश वर्मा मौके पर कवि सुरेश वर्मा को संस्था की ओर से ममता वर्मा ने अंग-वस्त्र, प्रशस्ति पत्र, पुष्प गुच्छ व नगद देकर सम्मानित किया. बता दें कि बेलाहीं नीलकंठ गांव निवासी श्री वर्मा को संवेदना का कवि कहा जाता है. हाल में उनकी एक रचना ‘मैं हीं क्या तमाम लोग जानते हैं, कातिल का अता-पता यहां तक कि नाम जानते हैं, फिर भी चुप हैं इसलिए कि होंठ खुलने के बाद का अंजाम जानते हैं’ काफी चर्चित हुआ था.