सीतामढ़ीः मई 2013 में भी प्रशासनिक हलचल कम नहीं रही. विशेष कर विभिन्न तरह की कार्रवाई को लेकर यह हलचल काफी तेज रही थी. यही वह माह है जब उच्चतम न्यायालय के आदेश पर राज्य सरकार ने जिले के सभी 55 विषयवस्तु विशेषज्ञ यानी एसएमएस को नौकरी से निकाल दिया था. इस कार्रवाई से एसएमएस व उनके परिजनों में हड़कंप मच गया था.
हालांकि जून-जुलाई में उक्त कर्मियों को दैनिक मानदेय पर काम पर रख लिया गया था. आठ मई को जिला स्तर पर बैठक में निर्धारित से अधिक का दवा डिमांड करने पर डीएम डॉ प्रतिमा ने सीएस को सोनबरसा पीएचसी प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट करने को कहा था. तब स्वास्थ्य विभाग में पीएचसी प्रभारी की काफी किरकिरी हुई थी. यही वह महीना है जब जिले के सैकड़ों एकड़ खेत में लगे मसूर के पौधों में दाना नहीं लगने पर किसान अपने भाग्य से अधिक विभाग को कोसने लगे थे. इंदिरा आवास के मामले में पांच मई को परिहार के तत्कालीन बीडीओ श्याम देव को जिला पुलिस ने नवादा शहर से गिरफ्तार किया था. उन्हें कोर्ट में पेश किया गया और वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था.
यह मामला लोग भूले नहीं थे कि 15 मई को चोरौत के तत्कालीन बीएओ प्रभुनाथ मांझी को ओल बीज की कालाबाजारी में गिरफ्तार किया गया था.चर्चित प्रशासनिक हलचल में मनरेगा में गड़बड़ी को ले बैरगनिया प्रखंड के छह पंचायत रोजगार सेवक व एक पंचायत तकनीकी सहायक को सेवा मुक्त किये जाने की भी मामला शामिल है. चार मई को विशेष कर डाक विभाग के अधिकारी व कर्मी नहीं भूलेंगे. क्योंकि इसी दिन सीबीआइ की टीम ने प्रधान डाकघर में करीब 12 घंटे तक लगातार छापामारी की थी. मामला डाककर्मियों की अवैध बहाली का था.
बाद में छह अधिकारी समेत 19 कर्मियों पर सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज की थी. 20 मई को स्वास्थ्य विभाग की तब किरकिरी हुई थी जब दवा के अभाव में सोनबरसा पीएचसी में जच्च-बच्च की मौत हो गयी थी. विधायक के पहल के बावजूद दोषी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. मई में हीं हाई कोर्ट के एक फैसले से संबंधित सरकारी अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे थे. हाई कोर्ट ने जबरन निजी जमीन पर सरकारी कार्य कराने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था. जिले के लोग 15 मई को शायद ही भूल पाये होंगे जब सोनबरसा प्रखंड के भलुआहा गांव का राहुल इंटर (विज्ञान)की परीक्षा में सूबे में चौथा स्थान हासिल कर जिले का गौरव बढ़ाया था.