ढ़िबरी युग में जी रहे बदुरी अमघट्टा के लोग

ढ़िबरी युग में जी रहे बदुरी अमघट्टा के लोग टोले के 80 फीसदी लोग मजदूरी करने को विवशअब तक खोज खबर लेने नहीं पहुंचे जन प्रतिनिधिसीतामढ़ी . आजादी के 69 वर्ष बीतने के बाद भी बथनाहा प्रखंड के मटियार कला पंचायत के वार्ड संख्या-एक बदुरी अमघट्टा के दलित, अतिपिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग के लोग ढ़िबरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 6, 2016 6:57 PM

ढ़िबरी युग में जी रहे बदुरी अमघट्टा के लोग टोले के 80 फीसदी लोग मजदूरी करने को विवशअब तक खोज खबर लेने नहीं पहुंचे जन प्रतिनिधिसीतामढ़ी . आजादी के 69 वर्ष बीतने के बाद भी बथनाहा प्रखंड के मटियार कला पंचायत के वार्ड संख्या-एक बदुरी अमघट्टा के दलित, अतिपिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग के लोग ढ़िबरी युग में जीने को विवश हैं. उक्त टोले के 80 फिसदी गरीब वर्ग के लोग मेहनत मजदूरी कर अपना जीवन बसर करने के सिवा कुछ सोचते ही नहीं और न ही इनके पास पंचायत से लेकर उच्च सदन तक के प्रतिनिधि कभी इनकी खोज खबर लेने पहुंचे. बताते चले कि स्व ठाकुर युगल किशोर सिंह जी के प्रयास के उपरांत वर्ष 1974 में बथनाहा व मेजरगंज के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली का सपना साकार हुआ. परंतु वर्ष 1979 में मटियार कला पंचायत से बिजली गुल हो गयी. इस बीच चोरों के द्वारा बिजली के पोल व तार को गायब कर दिया गया. पुन: राजीव गांधी विद्युत योजना के तहत लगाये गये तार व पोल से वर्ष 2015 के उपरांत बिजली दौड़ा दी गयी, लेकिन बिजली विभाग द्वारा वार्ड संख्या-एक के वजूद को हीं समाप्त कर दिया गया. विद्युत विभाग के अधिकारी बेखबर इधर भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय विद्युत योजना के तहत या मुख्यमंत्री के ग्रामीण ऊर्जा विकास सख्ती के आदेश के बावजूद भी विद्युत विभाग के पदाधिकारी इस वार्ड का खबर लेने आज तक नहीं पहुंचे. ऐसी स्थिति कमोवेश जिले के सैकड़ों गांवों की है. मटियार कला पंचायत निवासी फ्रेंड्स ऑफ आनंद के प्रवक्ता कुमार राजीव सिंह ने मंगलवार को डीएम से बदुरी अमघट्टा के निवासियों को अंधेरे से निजात दिलाने की मांग की है.

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