श्रीराम कथा मीठे रस के समान आनंददायक

सीतामढ़ी : नगर के सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर के तत्वावधान में आयोजित श्रीराम कथा का शुक्रवार को शुभारंभ हुआ. मुंबई से पधारे श्रद्धेय निर्मल जी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार वृक्ष से ज्यादा फल और फल से ज्यादा उसका रस महत्वपूर्ण व आनंददायक होता है, उसी प्रकार विविध ग्रंथों के रस के समान मीठा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 17, 2016 7:07 AM

सीतामढ़ी : नगर के सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर के तत्वावधान में आयोजित श्रीराम कथा का शुक्रवार को शुभारंभ हुआ. मुंबई से पधारे श्रद्धेय निर्मल जी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार वृक्ष से ज्यादा फल और फल से ज्यादा उसका रस महत्वपूर्ण व आनंददायक होता है, उसी प्रकार विविध ग्रंथों के रस के समान मीठा है सियाराम व श्री हनुमान का प्रसंग. कथा शुरू होने से पूर्व कथा के यजमान नारायण सुंदरका अपनी धर्मपत्नी मधु के संग रामायण की पूजा कर श्रद्धालुओं सहित जय श्रीराम, जय हनुमान के जयकारे के साथ व्यास पीठ पर स्थापित किया.

साथ हीं राधेश्याम शर्मा, डॉ शंकर प्रसाद खेतान, कौशल किशोर शर्मा व तेजपाल शर्मा ने व्यास पीठ पर श्रद्धेय निर्मल जी महाराज की अगवानी की. महाराज ने कथा शुरू करने के पूर्व कहा कि यह संयोग है कि कथा रामनवमी से चल कर हनुमान जयंती तक जायेगी. हम सब भी आज रामनवमी के शुभ अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के वृत्तांत का उल्लेख करेंगे और अगले दिन से राम भक्त हनुमान की भक्ति और उनकी कृपा का मनन करेंगे.

महाराज जी ने कहा कि पुराणों में किसी भी राजा-रानी की चर्चा नहीं होती, लेकिन महाराज दशरथ को वेद भगवान कहा गया और दशरथ एकमात्र राजा थे, जो कैकेयी संग स्वर्ग होकर आये थे.

वेद में कौशल्या ज्ञान रूपी: वेद में उनकी पत्नी कौशल्या ज्ञान के रुप में दिखाई देती है, वहीं कैकेयी कर्म और सुमित्रा उपासना. महाराज दशरथ की वृद्धा अवस्था आने को थी और त्रेता युग के 11 हजार वर्ष बचे थे, फिर भी संतानहीन थे. जिसके कारण पूर्वज भी स्वर्ग में व्यथित रहते थे. फिर पूर्वजों के प्रेरणा व राजगुरु महर्षि वशिष्ठ के आशीर्वाद से पुल रूपी प्रसाद ग्रहण करने पर शोभामयी कौशल्या की राम, शील रूपी कैकेयी को भरत और तेज रूपी सुमित्रा को लक्ष्मण व शत्रुध्न पुत्र रत्न प्राप्त हुआ.

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