थानाध्यक्ष नहीं करेंगे मीडिया से संवाद : एसपी
सीतामढ़ी : मीडिया और पुलिस के बीच बेहतर संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से राज्य पुलिस मुख्यालय द्वारा ठोस कदम उठाया गया है. पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के आदेश के आलोक में तत्काल प्रभाव से समाहरणालय स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय में मीडिया जनसंपर्क शाखा का गठन किया गया है. उक्त शाखा में प्रभारी के रुप में […]
सीतामढ़ी : मीडिया और पुलिस के बीच बेहतर संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से राज्य पुलिस मुख्यालय द्वारा ठोस कदम उठाया गया है. पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के आदेश के आलोक में तत्काल प्रभाव से समाहरणालय स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय में मीडिया जनसंपर्क शाखा का गठन किया गया है.
उक्त शाखा में प्रभारी के रुप में डीएसपी (हेडक्वार्टर) रहेंगे. वहां एक रजिस्टर संधारित किया जायेगा, जिसमें प्रेस विज्ञप्तियों को अभिलेख के रुप में संधारित किया जायेगा. संधारित करने का दायित्व डीएसपी हेडक्वार्टर के प्रवाचक की होगी.
अब मीडिया को जानकारी एसपी अथवा प्रभारी, मीडिया संपर्क शाखा हीं देंगे. अन्य किसी भी पंक्ति के पुलिस पदाधिकारी, थानाध्यक्ष समेत अन्य कोई अधिकारी प्रेस से संवाद नहीं करेंगे. पुलिस अधीक्षक हरि प्रसाथ एस ने बुधवार को इस संबंध में आदेश पत्र निर्गत किया है.
पत्र में कहा गया है कि पुलिस विभाग के पास अपराध एवं विधि-व्यवस्था से संबंधित अद्यतन सूचना रहती है और उन्हें पुलिस के विभिन्न पहलुओं की जानकारी होती है. पुलिस द्वारा मीडिया से सूचनाओं को साझा करने में पर्याप्त सावधानी एवं संतुलन बरतने की आवश्यकता है ताकि अनुसंधान बाधित न हो और पीड़ित या अभियुक्त के कानूनी और मूलभूत अधिकारों का हनन न हो अथवा राष्ट्रीय हितों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े.
ब्रीफिंग का समय व स्थान निर्धारित मीडियाकर्मियों के लिए सामान्यत: मीडिया ब्रीफिंग का स्थान व समय का भी निर्धारण किया गया है. आदेश में कहा गया है कि ब्रीफिंग का स्थान कार्यालय कक्ष होगा तथा प्रतिदिन निर्धारित समय अपराह्न चार बजे से शाम छह बजे के बीच निर्धारित होगा.
इसकी सूचना ससमय सभी मीडियाकर्मियों को दी जायेगी. पुलिस से संबंधित मामलों जैसे बड़ी आपराधिक या विधि व्यवस्था की घटना, महत्वपूर्ण उद्भेदन गिरफ्तारी, बरामदगी या अन्य उपलब्धि पर एसपी स्वयं प्रेस वार्ता करेंगे. किसी अपराध के संबंध में गुप्त या तकनीकी सूत्रों को मीडिया के समक्ष प्रकट नहीं किया जायेगा और न हीं अनुसंधान की दिशा या तकनीकों का खुलासा किया जायेगा ताकि अपराधी ऐसी जानकारियों का लाभ न उठा सकें.
यौन हिंसा के पीड़ितों का नहीं होगा खुलासा: यौन हिंसा के पीडितों एवं बच्चों/किशोरों की पहचान(नाम, चेहरा एवं अन्य विवरण) को मीडिया के सामने खुलासा नहीं किया जायेगा. दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत उनकी मेडिकल जांच प्राथमिकता पर करायी जायेगी, जिसके निष्कर्ष को मीडिया के साथ साझा किया जा सकता है.
मीडिया को मिलेगी केवल तथ्यों की जानकारी: आदेश पत्र में यह भी कहा गया है कि अनुसंधान के दौरान समय समय पर मीडिया को केवल तथ्यों पर आधारित जानकारी दी जायेगी तथा कयास, पूर्वानुमान, न्यायिकता से प्रेरित निष्कर्ष पर आधारित कोई भी टिप्पणी नहीं की जायेगी, जिससे की अनुसंधान बाधित हो अथवा न्यायिक प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े. अनुसंधान पूर्ण होने पर आरोप पत्र के तथ्यों की जानकारी एवं न्यायिक विचारण के पश्चात दोष सिद्धि या दोष मुक्ति के परिणाम की जानकारी मीडिया को दी जा सकती है.
डीजीपी के आदेश पर मीडिया के लिए नया दिशा निर्देश
पुलिस अधीक्षक कार्यालय में खुला मीडिया कोषांग
ऑपरेशन पूर्ण होने पर ही मिलेगी सूचना
अभियुक्तों की गिरफ्तारी होने पर मीडिया को बताया जायेगा, किंतु उन्हें मीडिया के समक्ष पेश नहीं किया जायेगा. पीड़ितों, गवाहों और अभियुक्तों का बयान पुलिस द्वारा अभिलिखित किये जाने से पहले मीडिया को साक्षात्कार की अनुमति नहीं दी जायेगी. राष्ट्रीय सुरक्षा
अथवा आंतरिक सुरक्षा से संबंधित अथवा अन्य प्रकार के मामलों में किसी समय चलाये जा रहे पुलिस ऑपरेशन की ताजा स्थिति मीडिया से साझा नहीं की जायेगी, बल्कि ऑपरेशन पूर्ण होने के पश्चात हीं गिरफ्तार अपराधियों एवं बरामद वस्तुओं की तथ्यात्मक जानकारी दी जायेगी.