हिंदी संस्कृति-सभ्यता को व्यक्त करनेवाली भाषा

हिंदी दिवस आज, समारोह की तैयारी पूरी सीतामढ़ : बुधवार को हिंदी दिवस है. इस दिसव को समारोह पूर्वक मनाने के लिए जगह-जगह तैयारी की जा रही है. मंगलवार को डुमरा कोठी स्थित भारती पब्लिक स्कूल में शिक्षकों की एक बैठक हुई, जिसमें कार्यक्रम की सफलता पर विचार किया गया. मौके पर स्कूल के निदेशक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2016 4:04 AM

हिंदी दिवस आज, समारोह की तैयारी पूरी

सीतामढ़ : बुधवार को हिंदी दिवस है. इस दिसव को समारोह पूर्वक मनाने के लिए जगह-जगह तैयारी की जा रही है. मंगलवार को डुमरा कोठी स्थित भारती पब्लिक स्कूल में शिक्षकों की एक बैठक हुई, जिसमें कार्यक्रम की सफलता पर विचार किया गया. मौके पर स्कूल के निदेशक सह प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि राष्ट्री की भावनात्मक एकता की भाषा, राष्ट्र की संस्कृति व सभ्यता को व्यक्त करने वाली राष्ट्र की प्राय: शक्ति, उसकी आशा आकांक्षा की वाणी, उसकी सीमा और उपलब्धि की कहानी
, उसकी कर्म- साधना का माध्यम उस देश की एक विशिष्ट भाषा होती है, जिसे राष्ट्र के अधिकांश निवासी बोलते, लिखते व समझते हैं. इस कसौटी पर हमारे देश में बोली जाने वाली भाषाओं में एक मात्र हिंदी हीं ऐसी भाषा है जो सब तरह से खरी उतरती है. सरलता इस भाषा का सहज श्रृगार है, जिसे देश की करीब 60 करोड़ आबादी ने आजमाया व अपनाया है.
निदेशक श्री मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रों में अनेक दिवस मनाये जा रहे हैं. इसी कड़ी में हम हिंदी दिवस को जोड़ कर आसानी से इसकी महत्ता को समझ सकते हैं. इस अवसर पर विश्व के प्रगतिशील देशों ने हिंदी के प्रति अपना जो सम्मान प्रकट किया, वह अहिंदी भाषी भारत के अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा को श्रोत बन गया है.
भाषा संस्कृति की रीढ़
भाषा किसी राष्ट्र की संस्कृति और सभ्यता की परिचायिका एवं रीढ़ होती है. भारतीय संस्कृति को स्थायित्व प्रदान करने के लिए हिंदी के प्रचार-प्रसार में कवियों, लेखकों व राजनेताओं का सहयोग अपेक्षित है. हिंदी भाषी राज्यों के अलावा अहिंदी भाषी प्रांतों में भी राष्ट्रीय एवं अंतर राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी दिवस मनाया जाता अति आवश्यक है. इसे विश्व की समृद्ध भाषाओं की श्रेणी में लाने के लिए समय-समय पर हर देशवासी का पुनीत कर्तव्य है
कि इसे दिवस के रूप में मनायें. केंद्र सरकार यदि संविधान में संशोधन कर अनिवार्य रूप से इस भाषा को पूरे देश में लागू करे तो वह दिन दूर नहीं, जब हम गर्व से कह सकेंगे कि हम भारतीयों की एक भाषा हिंदी है. मौके पर सतीश कुमार, संजय कुमार, अमरनाथ झा, शतिभूषण झा, रंभा कुमार आदि मौजूद थे़

Next Article

Exit mobile version