जांच. लक्ष्मण कंस्ट्रक्शन के मुंशी की हत्या में है आरोपित
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प्रेमरंजन को यातना देने की गुत्थी इंज्यूरी रिपार्ट से उलझी
जांच. लक्ष्मण कंस्ट्रक्शन के मुंशी की हत्या में है आरोपित एंटी क्रिमिनल एक्टिविटी रखनेवाले पुलिसकर्मियों को फंसाने की साजिश जांच में होगा दूध का दूध, पानी का पानी आरोपित के पिता ने पुलिस पर लगाया फंसाने का आरोप सीतामढ़ी : जिले के मेजरगंज थाना अंतर्गत डुमरी कला गांव में लक्ष्मण कंस्ट्रक्शन के मुंशी धर्मवीर सिंह […]
एंटी क्रिमिनल एक्टिविटी रखनेवाले पुलिसकर्मियों को फंसाने की साजिश
जांच में होगा दूध का दूध, पानी का पानी
आरोपित के पिता ने पुलिस पर लगाया फंसाने का आरोप
सीतामढ़ी : जिले के मेजरगंज थाना अंतर्गत डुमरी कला गांव में लक्ष्मण कंस्ट्रक्शन के मुंशी धर्मवीर सिंह की हत्या व आर्म्स एक्ट के मामले में जेल में बंद प्रेमरंजन सिंह उर्फ बिट्टु सिंह को थर्ड डिग्री देने के मामले की गुत्थी अब बुरी तरह उलझ गयी है.
एक ओर प्रेमरंजन के पिता सत्यनारायण सिंह का कहना है कि गत 22 अगस्त से यातना देने के बाद उसे 26 अगस्त को न्यायिक हिरासत में पेश करने के बाद जेल भेजा गया. जबकि आरोपित पुलिसकर्मी आरोप को पूरी तरह बेबुनियाद बता रहे है. दोनों के बीच चल रहे हाइप्रोफाइल ड्रामा के बीच इंज्यूरी रिपोर्ट से प्रेमरंजन सिंह प्रकरण में एक नया मोड़ आ गया है.
यह कहना गलत नहीं होगा कि इंज्यूरी रिपोर्ट से आरोपित पुलिसकर्मियों से क्लीन चिट मिलने की पूरी संभावना बन गयी है. यह भी कहा जा रहा है कि एंटी क्रिमिनल एक्टिविटी रखने वाले पुलिसकर्मियों को फंसाने की गहरी साजिश चल रही है. जिसके पिछे कई सफेदपोश लोग भी है. इधर मामले की न्यायिक जांच भी हो रही है, जिसमें दूध का दूध व पानी का पानी हो जायेगा.
क्या है पुलिसकर्मियों पर आरोप
प्रेमरंजन के पिता सत्यनारायण सिंह ने एक सितंबर 16 को न्यायालय में एएसपी अभियान संजीव कुमार, थानाध्यक्ष रामनंदन प्रसाद, सैफ खां व आरक्षी आलोक कुमार समेत 10-15 पुलिसकर्मियों को आरोपित करते हुए मुकदमा दर्ज किया. बताया कि उक्त लोग गत 21 अगस्त को घर में घुस कर उनके पुत्र के हाथ में पिस्टल पकड़ा कर मारपीट करते हुए अपने साथ ले गये. पुलिस हिरासत में लेने के बाद प्रेमरंजन की मेजरगंज व बथनाहा थाना में बुरी तरह से यातना देने के बाद उसे 26 अगस्त को न्यायिक हिरासत में पेश किया गया.
क्या है इंज्यूरी रिपोर्ट
28 अगस्त को दोपहर 3.27 बजे इलाज के लिए सदर अस्पताल में भरती होने के बाद प्रेमरंजन का इलाज करने वाले चिकित्सक डॉ सुनील कुमार सिन्हा ने इंज्यूरी रिपोर्ट में बताया है कि शरीर पर पाये गये सभी जख्म 24 घंटा के अंदर की है. यानी 27 अगस्त को, जब वह जेल में बंद था. इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रेमरंजन को पुलिस अभिरक्षा में एएसपी अभियान संजीव कुमार समेत अन्य आरोपित व अज्ञात पुलिसकर्मियों द्वारा यातना नहीं दी गयी है.
कारण सामने है कि पुलिस ने प्रेमरंजन को 26 अगस्त को न्यायिक हिरासत में पेश करने के बाद जेल भेज दिया था. दो दिन तक जेल में रहने के बाद दर्द की शिकायत करने पर उसे 28 अगस्त को सदर अस्पताल मे भरती कराया गया था. इधर पुलिस विभाग के लोगों का यह भी कहना है कि बुरी तरह जख्मी होने के बाद दो दिन तक उसने दर्द की शिकायत जेल प्रशासन से क्यों नहीं की?
वहीं पेशी के बाद आये आदेश फलक में यह अंकित है कि अभियुक्तों से पूछे जाने पर उसने मार्ग रक्षी दल द्वारा किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार किये जाने से इनकार किया है. वहीं, अभियुक्तों के शरीर पर किसी प्रकार का जख्म या दाग के निशान स्पष्ट नहीं पाये गये.
चिकित्सक का जख्म प्रतिवेदन.
अधिवक्ता अमर मिश्रा का कहना है कि प्रथम दृष्टया प्रेमरंजन के आघात प्रतिवेदन व पीएमसीएच में हुए शल्य चिकित्सा एवं उसके प्रतिवेदन के आधार पर निश्चित रूप से बेरहमी से उसकी पिटाई एवं आघात करने के बाद उसे जेल भेजा गया. सवाल यह भी उठता है कि जेल अधीक्षक ने किस परिस्थिति में उसके जान के खतरा को देखते हुए बिना न्यायालय के अनुमति के उसे सदर अस्पताल भेज दिया. जहां तक जख्म व दाग का निशान नहीं पाये जाने की शिकायत है, इसका कारण यह है कि अधिकांश जख्म के निशान उसके प्राइवेट पार्ट पर थे, जिसे दिखाने में उसे लज्जा महसूस हुई होगी. चिकित्सकों ने भी प्रेमरंजन के जबड़ा के क्षतिग्रस्त होने की बात को स्वीकार की है. अमर मिश्रा, अधिवक्ता
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