राजस्व कर्मचारी के दो वेतन वृद्धि पर लगी रोक
भूमि बंदोबस्ती को भ्रामक व गलत प्रस्ताव देने का मामला विजय कुमार एक दिन के लिए किये गये थे निलंबित सीतामढ़ी : डीएम राजीव रौशन ने डुमरा अंचल के तत्कालीन राजस्व कर्मचारी विजय कुमार के दो वेतन वृद्धि पर रोक लगा दिया है. फिलहाल श्री कुमार रून्नीसैदपुर अंचल में पदस्थापित है. विभागीय कार्यवाही पूरी होने […]
भूमि बंदोबस्ती को भ्रामक व गलत प्रस्ताव देने का मामला
विजय कुमार एक दिन के लिए किये गये थे निलंबित
सीतामढ़ी : डीएम राजीव रौशन ने डुमरा अंचल के तत्कालीन राजस्व कर्मचारी विजय कुमार के दो वेतन वृद्धि पर रोक लगा दिया है. फिलहाल श्री कुमार रून्नीसैदपुर अंचल में पदस्थापित है. विभागीय कार्यवाही पूरी होने के बाद प्राप्त अनुशंसा के आलोक में डीएम द्वारा उक्त कार्रवाई की गयी है.
बता दें कि विभागीय कार्यवाही के लिए सबसे पहले संचालन पदाधिकारी एसडीसी सुरेश को बनाया गया था. उनके जांच प्रतिवेदन को असंतोषजनक मान बाद में तत्कालीन जिला पंचायत राज पदाधिकारी सुनील कुमार को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया था. श्री कुमार की रिपोर्ट पर विलंब से ही सही राजस्व कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की गयी है.
जवाब संतोषजनक नहीं : स्पष्टीकरण के जवाब में कर्मचारी श्री कुमार ने कहा था कि उनसे पूर्व के राजस्व कर्मचारी दयाली पासवान द्वारा रामनंदन सिंह के नाम से रसीद काटा गया था. उसी आधार पर उन्होंने भी रसीद काट दिया था. संचालन पदाधिकारी ने जांच में पाया था कि जमाबंदी संख्या 77 के रजिस्टर नंबर दो में खाता नंबर 497 का उल्लेख नहीं किया गया था.
कहा था कि एक राजस्व ग्राम में किसी खेसरा विशेष को अलग-अलग खाताधारी के स्वामित्व में रखने का प्रावधान नहीं है. इससे सभी राजस्व कर्मचारी अवगत है. इस मामले में श्री कुमार की लापरवाही मानी गयी.
क्या हैं पूरा मामला : कर्मचारी श्री कुमार पर भूमि बंदोबस्ती अभिलेख संख्या 01/10-11 में खाता नंबर 497 व खेसरा नंबर 724 की बंदोबस्ती केथरिया के युगल किशोर मंडल के नाम से करने का भ्रामक व गलत प्रस्ताव देने का आरोप था. जांच में पता चला कि उक्त प्रस्ताव के पूर्व संबंधित खाता नंबर की भूमि की जमाबंदी रसलपुर के रामनंदन सिंह के नाम कर दी गयी थी.
21 अप्रैल 2010 को बंदोबस्ती का प्रस्ताव दिया, जबकि श्री सिंह के नाम से छह मई 2010 को लगान रसीद निर्गत किया गया. डीसीएलआर सदर ने जांच में राजस्व कर्मचारी को दोषी पाया था. उनके प्रतिवेदन पर 31 फरवरी 2011 को श्री कुमार को निलंबित किया गया और कार्य की महत्ता को देख दूसरे पत्र के माध्यम से उसी दिन उनको निलंबनमुक्त कर दिया गया था.