सरकार बदली, कार्यप्रणाली पहलेवाली

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By Prabhat Khabar Digital Desk | April 23, 2017 2:13 AM

उदासीनता. वरीय अधिकारियों के आदेश को नजरअंदाज कर मनमानी करते हैं बिजली कर्मी

सीतामढ़ी : जिलावासियों को पूर्व की अपेक्षा बेहतर विद्युत सेवा मिल रही हैं, इसमें कोई दो मत नहीं, पर अब तक कुछ टोले-मुहल्ले, शहरी व ग्रामीण क्षेत्र हैं, जहां बिजली की सुविधा नहीं पहुंच सकी है. सैकड़ों ऐसे मुहल्ले व गांव है, जहां बांस-बल्ले के सहारे तार ले जा कर लोगों बिजली जलाने को मजबूर है.
दुखद यह है कि वरीय अधिकारियों के आदेश के बावजूद कनीय अधिकारी व कर्मी बिना अतिरिक्त लाभ के आसानी से काम करना नहीं चाहते हैं. इससे यह साबित होता है कि विद्युत विभाग के कुछ कर्मियों की यह नीयती बन गयी है. कर्मियों के मनमानी से अक्सर लोग परेशान रहते हैं. समय से मीटर रिडिंग होता है न बिल मिलती है. उपभोक्ता चाह कर भी ससमय बिल जमा नहीं कर पाते है.
व्यवस्था को सुधारने के लिए कंपनी द्वारा मोबाइल पर बिल अमाउंट से संबंधित मैसेज भेजने की व्यवस्था की गयी, पर अधिकांश लोगों को समय पर मैसेज नहीं मिलने से चाह कर भी लोग अपना बिल जमा नहीं कर पाते हैं. यह आलम जिला मुख्यालय से लेकर विभिन्न प्रखंडों के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र तक का है. शहर के कुछ बुद्धिजीवियों ने बताया कि सिनेमा रोड, बसुश्री चौक, कोट बजार, महावीर स्थान व बाइपास रोड समेत अन्य स्थानों पर अक्स ट्रांसफॉर्मर में खराबी आ जाने के चलते लो वोल्टेज की समस्या बनी रहती है.
पानी के लिए हाहाकार मच जाता है तो कभी वोल्टेज इतना हाई हो जाता है कि बल्ब, पंखा व टीवी समेत अन्य सामग्री खराब हो जाता है. कुछ ऐसे भी लोग हैं जो कर्मी को मामूली रकम देकर बिना कनेक्शन टोका फंसा कर बिजली की सेवा वर्षों से ले रहे हैं. खास बात यह कि ऐसे लोगों के घर कभी छापेमारी होती है न जुर्माना. यानी सरकार बदली, अधिकारी बदले, पर विद्युत विभाग की कार्य प्रणाली में अब तक कोई बदलाव नहीं देखा जा रहा है.
सुरसंड : पावर ग्रिड रहते हुए यहां के लोगों को नियमित बिजली की सुविधा नहीं मिल पाती है. 24 घंटे बिजली मिलने की विभागीय घोषणा हवा-हवाई साबित हो रहा है. 24 घंटे के बजाय उपभोक्ताओं को 10 घंटे भी नियमित बिजली नहीं मिल रही है. जबकि पावर ग्रिड व विद्युत पावर सब-स्टेशन के अधिकारियों द्वारा 17 घंटे बिजली देने का दावा किया जा रहा है.
पावर ग्रिड के सहायक विद्युत अभियंता संतोष कुमार के ने बताया कि लोड सेडिंग के लिए सात घंटे का समय निर्धारित किया गया है. विभागीय निर्देश के अनुसार सुबह 3 से 5 बजे, 9 से 11बजे, शाम 3 से 5 बजे व रात्रि 10 से 11 बजे का समय लोड सेडिंग के लिए निर्धारित है. अभियंता श्री कुमार के अनुसार इस पावर ग्रिड की क्षमता 16 मेगावाट की है. 6 मेगावाट बिजली जीएसएस को व 6 से 7 मेगावाट बिजली परिहार फीडर को दी जा रही है.
इधर कनीय अभियंता विजयकांत ठाकुर का कहना है कि विद्युत सब-स्टेशन में एक पावर ट्रांसफर्मर मात्र 3.15 व दूसरा मात्र पांच एमवीए का है. जबकि यहां 10 एमवीए के पावर ट्रांसफर्मर की जरूरत है. कम क्षमतावाले पावर ट्रांसफर्मर के चलते समस्या बनी हुई है. वहीं, ठेकेदारों द्वारा कुछ भाग में तार- पोल बदला भी गया है, अधिकांश भाग में अभी बदलना शेष है.
पुपरी : सोनबरसा टोला में अब भी बांस के खंभे के सहारे बिजली की आपूर्ति हो रही है. हालांकि विभाग की ओर से समस्या के समाधान का कवायद जारी है. बावजूद शहर की एक बड़ी आबादी को बांस-बल्ले के सहारे बिजली की आपूर्ति की जा रही है. राजबाग मुहल्ला में भी लोगों का यही हाल है. लिहाजा अक्सर तार टूट कर गिरने से जान-माल की क्षति होती रहती है.
बावजूद विभागीय अधिकारी व कर्मी सुनने को तैयार नहीं हैं. राजबाग मुहल्ला निवासी व वार्ड पार्षद धर्मेन्द्र पाठक, सोनवरषा टोला के पार्षद श्याम राज व स्थानीय विक्की कुमार समेत अन्य ने बताया कि वे लोग वर्षों से वैध उपभोक्ता हैं, बावजूद निजी तार व बांस के सहारे बिजली की आपूर्ति हो रही है. हालांकि कनीय अभियंता संतोष कुमार ने बताया कि अगले वर्ष शहरी व ग़ामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं के समक्ष न के बराबर समस्या रह जायेगी.

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