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शहर में बेखौफ चल रहा देह व्यापार का अड्डा

जिस्मफरोशी . 2008 में रामनवमी मेले के दौरान लोगों ने फूंक िदया था बोहा टोला को, फिर भी गुलजार है बदनाम गली सीतामढ़ी : देश के मानचित्र पर सीतामढ़ी शहर को आस्था के स्थल का दर्जा प्राप्त है. लेकिन आस्था के इस स्थल पर बदनामी का भी दाग बरकरार है. वर्ष 1895 में अंग्रेजों ने […]

जिस्मफरोशी . 2008 में रामनवमी मेले के दौरान लोगों ने फूंक िदया था बोहा टोला को, फिर भी गुलजार है बदनाम गली

सीतामढ़ी : देश के मानचित्र पर सीतामढ़ी शहर को आस्था के स्थल का दर्जा प्राप्त है. लेकिन आस्था के इस स्थल पर बदनामी का भी दाग बरकरार है.
वर्ष 1895 में अंग्रेजों ने अपने मनोरंजन के लिए जिस बस्ती को विकसित किया था आज वह रेडलाइट एरिया के नाम से जाना जाता है. जहां घुंघरू की झनकार भी है, सूर, साज और अय्याशी का बाजार भी है. देह व्यापार के अड‍्डे के रूप में ख्यात रेडलाइट एरिया को बदनाम गली व बोहा टोला के नाम से जाना जाता है. इस इलाके को कभी राजनीतिक व अपराधियों का भी समर्थन प्राप्त था. एक ऐसा भी दौर था जब यह इलाका अपराधियों की शरणस्थली बन गया था.
हालांकि बाद में आस-पास के लोगों के विरोध व पुलिस के एक्शन में आने के बाद इलाके से अपराधियों का साया हटा. साल 2000 में आस पास के लोगों के विरोध के चलते बोहा टोला पर असर पड़ा. हालांकि बोहा टोला व पास के मोहल्ले के लोगों के बीच तभी से टकराव आ रहा है. इसी क्रम में 15 अप्रैल 2008 को रामनवमी मेले के दौरान नाराज लोगों ने बोहा टोला को आग के हवाले कर दिया था. जिसमें एक मासूम व एक महिला समेत दो की मौत हुई थी.
इस घटना के बाद कोलकाता समेत देश स्तर के सेक्स वर्करों ने सीतामढ़ी पहुंच कर उग्र आंदोलन किया था. एक माह तक सेक्स वर्करों ने धरना प्रदर्शन किया था. प्रशासन ने महिला सेक्स वर्करों को आरक्षी केंद्र सीमरा परिसर स्थित एक स्कूल में पनाह दी थी. प्रशासन हर संभव सहयोग के लिए तैयार हुई. लेकिन सेक्स वर्कर नहीं माने. आखिरकार प्रशासन को झुकना पड़ा और महीनों बाद रेड लाइट एरिया गुलजार हुई.
गरीबों को बहला-फुसला कर धकेला जाता है देह मंडी में : जिले में जिस्मफरोशी का बाजार काफी सुदृढ़ है. माफियाओं की टीम गली, मोहल्ले, स्टेशन व गांवों में घूम कर गरीब बच्चियों को बहला-फुसला कर या फिर अपहरण कर लाते हैं. जिन्हें बोहा टोला में बेच दिया जाता है. जहां बाद में उन बच्चियों से देह व्यापार कराया जाता है.
कई बार लड़िकयां खुद भागी है. बोहा टोला में जबरन कैद कर रखी गयी लड़की व युवतियां समय-समय पर खुद इस दलदल से निकल कर भागती रहीं है. देह व्यापार मंडी से निकली युवतियों को आस पास के लोगों द्वारा पुलिस तक पहुंचाया गया है. जबकी बार-बार होती पुलिसिया छापेमारी के दौरान भी बड़ी संख्या में युवतियां मुक्त करायी जाती रहीं है. लेकिन जिस संख्या में युवतियां मुक्त करायी जाती रहीं है, उससे दोगुने संख्या में नई युवतियों को जिस्मफरोसी के बाजार में भी उतारा जाता रहा है. पिछले एक दशक में इस दलदल से 100 से अधिक युवतियां मुक्त करायी जा चूकी है. 40 से अधिक देह व्यापार के कारोबारी की गिरफ्तारी हो चूकी है. दो दर्जन युवतियां जिस्मफरोसी के बाजार से उड़ चूकी है. बावजूद इसके यह धंधा परवान चढ़ रहा है.
एक्शन के बदले पुलिस ने लगाया दिमाग: सोमवार को रेड लाइट एरिया से एक विवाहिता को मुक्त कराने के मामले में पुलिस ने एक्शन के बजाय दिमाग का सहारा लिया. जिले में हाल हीं में पदस्थापित मनोज कुमार गुप्ता नामक दारोगा ने महिला अवर निरीक्षक विभा रानी के साथ मिल कर ऑपरेशन की तैयारी की. इसके तहत उक्त अधिकारियों ने पुलिस के डंडा व वर्दी का खौफ दिखाने के बजाय आराम से ऑपरेशन को अंजाम दिया. अवर निरीक्षक ने इशारों में ही विवाहिता को बुलाया, बाइक पर बैठाया और फिर हवा की रफ्तार से पहुंच गया नगर थाने. इस पूरे ऑपरेशन की खबर तक नहीं मिली बोहा टोला के लोगों को.
लोगों को लगा की कोई लड़की को उठा कर ले जा रहा है. पुलिस को इसी तरह के साइलेंट ऑपरेशन की आवश्यकता भी थी. वजह बोहा टोला में जब कभी भी पुलिस ने छापेमारी की है, विरोध का सामना करना पड़ा है. छापेमारी के दौरान बोहा टोला में लड़कियों को भूमिगत कर दिया जाता है. बोहा टोला में बने आलीशान भवनों में तहखाने भी है. जहां छापेमारी के वक्त लड़कियों को बंद कर दिया जाता है. अगर पुलिस छापेमारी करती तो निश्चित रूप से विवाहिता को मुक्त करा पाने की राह आसान नहीं होती. लिहाजा दारोगा की दिलेरी व अन्य पुलिस कर्मियों के दिमाग से पुलिस ने एक बार फिर शानदार पहल कर एक बेगुनाह की जिंदगी बचा ली है.

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