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केस निष्पादन नहीं करते थानेदार

लापरवाही. आदेश के बावजूद यूडी केस में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थानाध्यक्ष सीतामढ़ी : यूडी केस के निष्पादन के प्रति थानाध्यक्षों की लापरवाही अब भी बरकरार है. सीतामढ़ी सर्किल इंस्पेक्टर मुकेश चंद्र कुंवर द्वारा दिये गये आदेश के एक माह बाद भी सीतामढ़ी सर्किल के थानाध्यक्षों द्वारा अब तक यूडी केस का निष्पादन नहीं किया […]

लापरवाही. आदेश के बावजूद यूडी केस में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थानाध्यक्ष

सीतामढ़ी : यूडी केस के निष्पादन के प्रति थानाध्यक्षों की लापरवाही अब भी बरकरार है. सीतामढ़ी सर्किल इंस्पेक्टर मुकेश चंद्र कुंवर द्वारा दिये गये आदेश के एक माह बाद भी सीतामढ़ी सर्किल के थानाध्यक्षों द्वारा अब तक यूडी केस का निष्पादन नहीं किया जा सका है.
मामले को गंभीरता से लेते हुए इंस्पेक्टर श्री कुंवर ने एसपी को प्रतिवेदन भेज थानाध्यक्षों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है. बताते चले की सीतामढ़ी सदर अस्पताल में बड़ी संख्या में जांच के लिए बेसरा पड़े रहने व इसके चलते यूडी केस के मामलों के लंबित रहने को लेकर तीन अप्रैल को प्रभात खबर में खबर प्रकाशित की गयी थी. इसी क्रम में सर्किल इंस्पेक्टर ने पाया की सदर अस्पताल में पिछले 37 साल से बेसरा पड़े रहने के चलते यूडी केस का एक मामला लंबित है.
उन्होंने मामले में संज्ञान लेते हुए चार अप्रैल को सीतामढ़ी सर्किल के सभी थानाध्यक्षों व ओपी प्रभारियों को पत्र भेज कर 15 दिनों के भीतर बेसरा जांच करा कर यूडी केस के लंबित मामलों के निष्पादन का आदेश दिया था.
इंस्पेक्टर श्री कुंवर ने खुद स्वीकार किया था कि नगर थाना में वर्ष 1980 का यूडी केस लंबित है. वजह मामले में बेसरा जांच नहीं होना है. उन्होंने तमाम पुलिस अधिकारियों को अपने थाना व ओपी में बेसरा जांच से लंबित मामलों के निष्पादन का आदेश दिया था. लेकिन इंस्पेक्टर के आदेश के एक माह बाद भी यूडी केस के मामलों का निष्पादन नहीं हो सका है.
सदर अस्पताल में पड़ा बेसरा जांच है लंबित
क्या है मामला: सदर अस्पताल में 500 से अधिक बेसरा पड़े है. जिनकी अब तक जांच नहीं हो सकी है. अभी हाल हीं में कोर्ट के आदेश पर नगर थाने की पुलिस ने साल 2002 के मामले की बेसरा को जांच के लिये एफएसएल को भेजा है. वह भी तब जब कोर्ट ने नकेल कसी. जो जाहिर करता है कि बेसरा रिपोर्ट के प्रति पुलिस बेपरवाह है.
वैसे आंकड़ों पर गौर करे तो पिछले तीन साल से सदर अस्पताल में 70 बेसरा पड़ा हुआ है. इनमें साल 2015 के 21, 2016 के 16 व इस साल के तीन महीनों के भीतर के चार बेसरा अस्पताल में पड़े है. जबकि किसी को भी इन बेसरा की चिंता नहीं है. आम तौर पर शव के पोस्टमार्टम में मौत की वजहों का खुलासा नहीं होने पर बेसरा जांच का सहारा लिया जाता है.
दो स्थितियों में बेसरा जांच कराया जाता है. पहला जहर खाने की स्थिति व दूसरा मौत की वजहों की स्थिति स्पष्ट नहीं होने पर. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चिकित्सक खुद इसकी अनुशंसा करते है. वहीं मृतक के हृदय, फेफड़ा, आमाशय, पेट, स्पलीन व किडनी के अवशेष को निकालते है. जिसे अस्पताल प्रशासन द्वारा एक डिब्बा में रखा जाता है. वहीं पुलिस इसे लेकर जांच के लिये फॉरेंसिक लैब मुजफ्फरपुर भेजती है. जहां जांच में मौत की वजहों का खुलासा होता है. लेकिन पुलिस की लापरवाही के चलते सदर अस्पताल में बेसरा पड़ा हुआ है और जांच लंबित है.
सीतामढ़ी : सर्किल के सभी थानाध्यक्ष व ओपी प्रभारियों को यूडी केस के लंबित मामलों के निष्पादन का आदेश दिया गया था. अस्पताल में पड़े विभिन्न मामलों से संबंधित बेसरा के जांच कराने का आदेश दिया गया था. बावजूद थानाध्यक्ष व ओपी प्रभारियों ने मामलों का निष्पादन नहीं किया. यह घोर लापरवाही है. लिहाजा एसपी को प्रतिवेदन भेजा गया है.
मुकेश चंद्र कुंवर, सर्किल इंस्पेक्टर,

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