तीन वर्ष से बनकर तैयार है 10 करोड़ का भवन, पर्यटकों को नहीं मिल रहा कोई लाभ
मां सीता की प्राकट्य स्थली, पुनौराधाम के पर्यटकीय विकास की बातें पिछले करीब एक दशक से जोड़ पकड़ी है.
सीतामढ़ी. मां सीता की प्राकट्य स्थली, पुनौराधाम के पर्यटकीय विकास की बातें पिछले करीब एक दशक से जोड़ पकड़ी है. सूबे की नीतीश सरकार से लेकर केंद्र सरकार व समाज के गणमान्य लोगों की ओर से पुनौरा धाम के पर्यटकीय विकास के संदर्भ में अनेक घोषणायें की गयी, लेकिन सच तो यह है कि पुनौरा धाम आज भी अपनी पुरानी सूरत में ही दिख रही है. सीता आराधना मंडल के महामंत्री व पुनौरा धाम से दशकों से जुड़े रिटायर्ड बैंक अधिकारी दिनेश चंद्र द्विवेदी, विमल कुमार परिमल व रामशंकर शास्त्री समेत अन्य गणमान्यों ने बताया कि सूबे के पर्यटन मंत्रालय की ओर से पूर्व से निर्मित धराशायी हो रहे यात्री निवास के उत्तर-पश्चिम कोने में एक बड़ा सा शौचालय परिसर का निर्माण कराया गया था. उसके सामने समरसेबल बोरिंग करायी गयी थी, जो उपयोग में नहीं लाया जा रहा है. वहीं, पर्यटन विभाग के ही द्वारा 10 करोड़ की लागत से 2018 में सीएम नीतीश कुमार की घोषणा के बाद दो बड़े भावनों का निर्माण कराया गया, लेकिन इन दोनों भवनों का उपयोग विशेष अवसरों पर तो होता है, लेकिन आम यात्रियों के उपयोग में नहीं लाया जा रहा है. भवनों को मंदिर न्यास समिति को हस्तांतरित नहीं किया जा सका है. जबकि, भवनों को बनकर करीब तीन वर्ष हो चुके हैं. — सीता कुंड में प्रस्तावित भव्य मंदिर के बारे में स्पष्टता नहीं
महावीर मंदिर ट्रस्ट, पटना की ओर से सीताकुंड में एक भव्य मंदिर बनवाने की परियोजना तैयार करायी गयी थी, लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिए जाने के कारण परियोजना के तहत कार्य शुरू नहीं हो पा रही है.— केंद्र सरकार ने अब तक नहीं दी है 38 करोड़ की राशि
12 वर्ष बाद भी बाल रूप सीता मंदिर का सपना अधूरा
सीतामढ़ी. सीताकुंड के पश्चिमी तट पर 2012 में जगद्गुरू रामभद्राचार्य जी महाराज के हाथों बाल रूप सीता मंदिर की भूमि पूजन हुआ. तब सरकार से लेकर समाज के विभिन्न गणमान्य लोगों ने मंदिर निर्माण में बढ़-चढ़कर आर्थिक सहयोग करने की घोषणा की थी. मंदिर का निर्माण शुरू भी हुआ. इन 12 वर्षों में मंदिर के ढांचे को नीचे से काफी गहरा और मजबूत आधार के साथ ऊपर तक निर्मित हो चुका है, लेकिन मंदिर को अंतिम रूप देने और बाल रूपी सीता जी की प्रतिमा स्थापित करने का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है. वर्तमान मंदिर न्यास समिति इस पर कोई निर्णय नहीं ले पा रही है.
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