सीतामढ़ी. मां सीता की प्राकट्य-भूमि पुनौरा धाम के सीता प्रेक्षागृह में तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज की दिव्य श्रीराम कथा जारी है. जगद्गुरु ने कहा कि अगली बार वे बाल रूप जानकी मंदिर का प्राण-प्रतिष्ठा अवश्य करेंगे. अयोध्या की तरह यहां भव्य मंदिर बनकर रहेगा. जगतगुरु ने उपस्थित श्रद्धालुओं के लिए मंगल कामना की और कहा कि यही सीता जी की पुण्य भूमि है. सीता जी को श्री कहकर लक्ष्मी जी से अलग कहा गया है. कहा कि वेद के अनुसार सिया और राम परब्रह्म परमेश्वर हैं. सीता जी ने पार्वती जी की. जहां सब कुछ हो, अहंकार न हो, क्रोध नहीं हो, ज्ञान हो, त्याग हो और करुणा हो, वहीं सर्वगुण संपन्न है. जगद्गुरु ने महाभारत की कथा के कुछ अंश को भी सुनाया और भगवान श्रीराम एवं भगवान श्रीकृष्ण के अंतर को वर्णित किया. जगद्गुरु ने चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ और गिद्ध राज जटायु की मित्रता की भी रोचक कथा सुनामी. इससे पूर्व मुख्य यजमान जानकी नंदन पांडेय ने गुरु पूजन किया. बीच-बीच में जगद्गुरु संगीतमय भजन से श्रद्धालुओं को भक्ति की सागर में डुबोते रहे.
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