सीतामढ़ी. सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग संस्थान की कन्याकुमारी से कश्मीर तक राष्ट्रव्यापी संकल्प यात्रा के क्रम में रविवार की शहर के शाम पुनौरा धाम पहुंची टीम द्वारा हवन यज्ञ, प्रवचन व भंडारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रवचन के दौरान स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने कहा कि जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान की अत्यंत अनिवार्यता है. इससे एक साधक के जीवन का सर्वोन्मुखी विकास संभव है. भारतीय संस्कृति अत्यंत समृद्ध है, जिसने विरासत के रूप में आध्यात्मिकता को मानव कल्याण के लिए सहज रूप में प्रदान किया है. यह धर्म से लेकर मोक्ष तक की यात्रा कराती है. विश्व की आदि संस्कृति, विश्ववारा संस्कृति है. धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की चतुःसूत्री ही भारतीय संस्कृति का आधार है. भीतर की अनंत शक्ति का सच्चा ज्ञान स्वयं को जानने से होता है. आंतरिक शांति के अभाव से हीं विश्व में अशांति है. आध्यात्मिक महापुरुषों के बदौलत हीं भारत विश्व गुरु रहा है और रहेगा. आंतरिक शांति द्वारा हीं विश्व-शांति संभव है. विहंगम योग के प्रणेता अमर हिमालय योगी अनंत श्री सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज ने अपनी गहन साधना द्वारा ईश्वर से योग की प्राप्ति की एवं इस अति दुर्लभ विज्ञान को स्वर्वेद नामक अद्वितीय आध्यात्मिक सद्ग्रंथ द्वारा जनमानस को सुलभ करया. स्वर्वेद हमारी आध्यात्मिक यात्रा को सदैव जागृत रखता है. उन्होंने विहंगम योग की क्रियात्मक योग साधना भी सिखाया. कहा यह साधना खुद से खुद की दूरी मिटाता है. इस दौरान स्वर्वेद के दोहों की संगीतमय प्रस्तुति से श्रोता मंत्रमुग्ध होते रहे. बताया कि शताब्दी समारोह महोत्सव एवं 25 हजार कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के निमित्त संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज की 7 जुलाई से शुरू संकल्प यात्रा तमिलनाडु, केरल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा के बाद बिहार के रोहतास, कैमुर, बक्सर, आरा, गया, जहानाबाद, राजगीर नालंदा, नवादा, जमुई, लखीसराय, मुंगेर, बांका, भागलपुर, पूर्णिया , सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, वैशाली, मुजफ्फरपुर के बाद सीतामढ़ी में संपन्न हुई. छह व सात दिसंबर को वाराणसी में 25 हजार कुंडीय महायज्ञ होना है. मौके पर विहंगम योग संस्थान के रामचंद्र तिवारी, संजय सिंह, ब्रह्मा सिंह, सच्चिदानंद सहाय, भूवनेश्वर सिंह, शिवजी प्रसाद, अरविंद कुमार सिंह, विवेक कुमार सिंह, डॉ सुनील सुमन, सुरेश प्रसाद सिंह, चंदेश्वरी मिश्र, डॉ अमरेंद्र कुमार समेत अन्य मौजूद थे.
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