बकरीद कल

कल यानी 17 जून को इद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व मनाया जाएगा. हर एक मुसलमान इसकी तैयारी कर ली है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 15, 2024 9:17 PM

सीतामढ़ी. कल यानी 17 जून को इद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व मनाया जाएगा. हर एक मुसलमान इसकी तैयारी कर ली है. शहर समेत जिले भर के मस्जिदों एवं इदगाहों को बकरीद की नमाज के लिए सजाया जा रहा है. मदरसा रहमानिया, मेहसौल के पूर्व प्राचार्य मौलाना अब्दुल वदूद ने कहा कि इस पर्व का मूल संदेश यह है कि एक इंसान अपने रब की रजामंदी के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर सकता है. पैंगबर हजरत इब्राहीम ने सपने में देखा कि अल्लाह ने उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी. अपने सपने की बात पैंगबर इब्राहीम ने अपने बेटे इस्माइल को बताया. अल्लाह की बंदगी में इस्माइल कुर्बानी देने को तैयार हो गए. पैंगबर इब्राहीम ने बेटे के गर्दन पर छुरी फेर दी. अल्लाह को यह बंदगी पसंद आयी और छुरी लगने से पहले इस्माइल को हटा मेमने को रख दिया गया. उसके बाद ही अल्लाह की बंदगी में इद उल अजहा के मौके पर जानवर की कुर्बानी दी जाती है.

मदरसा रहमानिया मेहसौल के पूर्व अध्यक्ष मो अरमान अली ने कहा कि कुर्बानी का यह त्योहार जिल्हिज्जा की दसवीं तारीख से शुरू होता है और 11वीं एवं 12वीं तारीख तक होते हैं. कुर्बानी दिखावा नहीं, बल्कि एक इबादत है. उन्होंने ने खुले स्थान पर कुर्बानी करने से परहेज करने और कुर्बानी के जानवरों की तस्वीर सोशल मीडिया पर नहीं डालने की अपील की.

हर मालिके निसाब मुसलमान पर क़ुर्बानी वाजिब है : क़मर मिस्बाही

सीतामढ़ी. बिहार स्टेट उर्दू टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क़मर मिस्बाही ने कहा है कि कुर्बानी हजरत इब्राहीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की सुन्नत है, जिसे मुहम्मद की उम्मत के लिए बाकि रख्खी गयी है और हमारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को कुर्बानी करने का आदेश दिया गया था, इसलिए हर साहिबे निसाब मुसलमान मर्द और औरत पर क़ुर्बानी वाजिब क़रार दिया गया है. कुर्बानी वाजिब होने के बावजूद न करने वालों पर अल्लाह के रसूल ने अपनी नाराजगी जाहिर की है, बल्कि उन्हें इदगाह से दूर रहने का भी आदेश दिया है. इसलिए हर साहिबे निसाब मुसलमानों को साफ दिल और नेक नियत के साथ खुदा और रसूल को खुश करने के लिए कुर्बानी के कार्य को अछछी तरह पूर्ण करनी चाहिए. अल्लाह की नजर में कुर्बानी के दिनों में कुर्बानी से बेहतर कोई काम नहीं है. खुदा का नेक बंदा वह है, जो खुदा के दरबार में अपना सब कुछ कुर्बान कर दें. मुसलमानों को चाहिए कि खुदाए पाक को खुश करने के लिए हजरते इब्राहीम अलैहिससला जैसा जज़्बा, नेक नियत और सच्चे दिल के साथ कुर्बानी के कार्य को पूरा करें. यही हम सब के लिए सफलता है.

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