पुपरी. कृषि विज्ञान केंद्र बलहा मकसूदन सीतामढ़ी में शुक्रवार को वैज्ञानिक विधि से मत्स्य पालन विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ. उद्घाटन केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ राम ईश्वर प्रसाद ने दीप प्रज्वलित कर किया. उन्होंने कहा कि जिले में मत्स्य उत्पादन की अधिक संभावना है. जरूरत है तकनीकी जानकारी की. ऐसा होने से बेहतर आमदनी प्राप्ति की जा सकती है. तुलनात्मक अध्ययन से यह जानकारी मिली है कि किसान जितना मेहनत सब्जी समेत अन्य फसलों के उत्पादन व पशुपालन में करते हैं, उसका 50 फीसदी मेहनत अगर मत्स्य पालन पर किया जाए तो अच्छी आमदनी संभव है. अगर तालाब के मेड़ पर महोगनी, सगवान, निंबू, पपीता व सहजन आदि लगाया जाए तो अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त हो सकता है. साथ ही बांध में वर्षा से होने वाले नुकसान को भी बचाया जा सकता है. प्रशिक्षण प्रभारी सह पशु चिकित्सा वैज्ञानिक डॉ किंकर कुमार व उद्यान वैज्ञानिक मनोहर पंजीकार ने कहा कि एक ही तालाब से तीन लेयर में अलग- अलग प्रजातियों का उत्पादन किया जा सकता है जो सामान्य उत्पादन से तीन गुणा अधिक होती है. प्रशिक्षण विशेषज्ञ सह मत्स्य सहायक प्रकाश चंद्रा ने प्रथम दिन कहा कि मत्स्य पालन शुरु करने से पहले पुराने तालाब का प्रबंधन आवश्यक है. इसके लिए तालाब के मिट्टी व पानी की जांच, पानी क़ी गहराई, तालाब का आकार, बांध की ऊंचाई पर विशेष ध्यान देने क़ी जरूरत है. ताकि तालाब के अंदर रहने वाले मछलियों की वृद्धि बेहतर हो सके. मत्स्य पालक अगर मत्स्य उत्पादन के साथ- साथ स्पान व फिश फिंगरलिंग का उत्पादन करें तो आमदनी में कई गुणा की वृद्धि हो सकती है. मौके पर पुष्पा कुमारी, धर्मेंद्र कुमार, ओमप्रकाश कुमार, हिमांशु कुमार, जय पूजन कुमार व राजन कुमार सुरेंद्र सिंह समेत अन्य मौजूद थे.
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मत्स्य पालन से बेहतर आमदनी संभव
कृषि विज्ञान केंद्र बलहा मकसूदन सीतामढ़ी में शुक्रवार को वैज्ञानिक विधि से मत्स्य पालन विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ.
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