17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

42 साल का इंतजार हुआ खत्म, तीन प्रखंडों के शासन में चलने वाले सुपैना में बनेगा पुल, आवागमन होगा सुलभ

जिले के बथनाहा, सोनबरसा एवं परिहार प्रखंड की सीमा पर अवस्थित सुपैना गांव समेत आसपास के कई गांवों की हजारों आबादी का करीब 42 साल का इंतजार खत्म होता नजर आ रहा है. स्थानीय विधायक ई अनिल राम की मानें तो अति महत्वपूर्ण एवं बहुप्रतीक्षित सुपैना पुल निर्माण का रास्ता अब साफ हो चुका है. नया साल-2021 चढ़ते ही 4 से 14 जनवरी तक टेंडर होगा. इसके बाद जनवरी-2021 के आखिरी में पुल निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा. विधायक ने बताया कि पिछले दिनों जिला में आयोजित एक बैठक में भी डीएम की मौजूदगी में विभागीय अभियंता से उक्त बहुप्रतीक्षित पुल के संबंध में पूछताछ की तो अभियंता द्वारा बताया गया कि पुल निर्माण की प्रकिया तेज कर दी गयी है. जनवरी की शुरुआत में टेंडर निकाला जाएगा. जबकि, जनवरी माह के आखिरी तक पुल निर्माण प्रारंभ हो जाएगा. अभियंता ने विधायक को टेंडर से संबंधित दस्तावेज भी उपलब्ध कराया था.

जिले के बथनाहा, सोनबरसा एवं परिहार प्रखंड की सीमा पर अवस्थित सुपैना गांव समेत आसपास के कई गांवों की हजारों आबादी का करीब 42 साल का इंतजार खत्म होता नजर आ रहा है. स्थानीय विधायक ई अनिल राम की मानें तो अति महत्वपूर्ण एवं बहुप्रतीक्षित सुपैना पुल निर्माण का रास्ता अब साफ हो चुका है. नया साल-2021 चढ़ते ही 4 से 14 जनवरी तक टेंडर होगा. इसके बाद जनवरी-2021 के आखिरी में पुल निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा. विधायक ने बताया कि पिछले दिनों जिला में आयोजित एक बैठक में भी डीएम की मौजूदगी में विभागीय अभियंता से उक्त बहुप्रतीक्षित पुल के संबंध में पूछताछ की तो अभियंता द्वारा बताया गया कि पुल निर्माण की प्रकिया तेज कर दी गयी है. जनवरी की शुरुआत में टेंडर निकाला जाएगा. जबकि, जनवरी माह के आखिरी तक पुल निर्माण प्रारंभ हो जाएगा. अभियंता ने विधायक को टेंडर से संबंधित दस्तावेज भी उपलब्ध कराया था.

तीन प्रखंडों की सीमा है सुपैना गांव

बता दें कि सुपैना गांव जिले का शायद इकलौता गांव है, जहां तीन-तीन प्रखंडों का शासन चलता है. गांव का अधिकांश हिस्सा बथनाहा प्रखंड की दिग्घी पंचायत के अधीन आता है. वहीं, कुछ हिस्सा परिहार प्रखंड एवं कुछ हिस्सा सोनबरसा प्रखंड के अधीन आता है. गांव से प्रखंड या जिला मुख्यालय को जोड़ने के लिए आजादी के सात दशक बाद भी कोई रास्ता नहीं है. अंग्रेज के जमाने में एक पुल का निर्माण हुआ था, लेकिन 80 के दशक की शुरुआत में ही नदी ने पुल के नीचे से बहना छोड़कर अपनी धारा बदल ली, जिसके बाद से गांव का प्रखंड एवं जिला मुख्यालय से संपर्क भंग हो गया था.

मॉनसून आते ही मुख्यालय से भंग हो जाता था गांव का संपर्क

गांव की हजारों आबादी तब से लेकर आज तक नाव के सहारे या नदी को पार करके यातायात करते आ रहे हैं. गांव तक समुचित रास्ता नहीं होने के चलते गांव वालों को शादी-विवाह आदि कार्यक्रमों में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मॉनसून आते ही हर वर्ष करीब चार महीने के लिए गांव का बाहरी दुनियां से संपर्क भंग हो जाता है. आपातकालीन स्थिति में गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. नदी पर तटबंध तो है, लेकिन तटबंध का रास्ता इतना खतरनाक है कि उस रास्ते से सफर करना बेहद मुश्किल है. करीब चार दशक से यातायात की भयानक तकलीफों को झेलने वाले ग्रामीणों द्वारा तब से लेकर आज तक शासन-प्रशासन पर लगातार सवाल खड़ा किया जाता रहा है, लेकिन पुल निर्माण का रास्ता साफ नहीं हो पा रहा था.

Also Read: नवविवाहित जोड़ों को तोहफे में कंडोम व गर्भनिरोधक गोलियां भेज रही सरकार, दो बच्चों के परिवार का दे रही संदेश
विस चुनाव में ग्रामीणों ने किया था वोट बहिष्कार

ग्रामीणों द्वारा लोकसभा एवं विधानसभा के पिछले कई चुनावों से वोट बहिष्कार की चेतावनी दी जा रही थी. हर बार जिला प्रशासन द्वारा आश्वासन देकर ग्रामीणों को वोट डालने के लिऐ मना लिया जाता था, लेकिन पिछले महीने संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में सुपैना समेत आसपास के कई गांव की हजारों लोगों की आमसभा हुई, जिसमें वोट बहिष्कार का निर्णय लिया गया और वोट का बहिष्कार भी किया. हालांकि, प्रशासन की ओर से काफी समझाया गया था कि पुल स्वीकृत हो चुका है, लेकिन ग्रामीण नहीं माने थे और चुनाव का बहिष्कार किये थे.

Posted By: Thakur Shaktilochan

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें