ढ़ाई दशक से उद्धार की बाज जोह रहा बाइपास रिंग रोड, जोखिम उठाकर आवागमन करने को मजबूर बस व आम वाहन चालक
रिंग रोड बनने के बाद इसका अनुकूल असर भी देखने को मिला.
सीतामढ़ी. बढ़ती आबादी के साथ शहर की मुख्य सड़कों पर बढ़ती भीड़ और उसके कारण लगने वाले जाम से शहर व जिले वासियों को बचाने के उद्देश्य से 80 के दशक में शहर के दक्षिणी हिस्से में कारगिल चौक से लेकर चक महिला बस स्टैंड, पासवान चौक व गणिनाथ गोविंद मंदिर होेते हुए अंबेडकर चौक तक सरकार द्वारा बाइपास रिंग रोड का निर्माण करवाया गया था. रिंग रोड बनने के बाद इसका अनुकूल असर भी देखने को मिला. रीगा, परसौनी, सुप्पी, बैरगनिया, मेजरगंज, शिवहर, मोतिहारी व अन्य जगहों से शहर आने वाले लोगों के साथ-साथ शहर के पुनौरा, खड़का, रीगा रोड, गौशाला इत्यादि इलाको के लोगों को भीड़ और जाम से बचते हुए शहर और जिला मुख्यालय के लिए आवागमन करने में काफी सहूलियत हो गयी थी, लेकिन रिंग रोड का दोबारा कभी जीर्णोद्धार नहीं हो सका. यही कारण है कि बाइपास रिंग रोड करीब ढ़ाई दशक से बदहाल अवस्था में है. साल दर साल सड़क का हाल और खस्ता होता जा रहा है, लेकिन जीर्णोद्धार कार्य नहीं हो पा रहा है. स्थानीय बैद्यनाथ प्रसाद व संजय कुमार समेत अन्य ने बताया कि सड़क दशकों से इतना बदहाल है कि आये दिन एक्सीडेंट होते रहते हैं और लोग जख्मी होते रहते हैं. यात्रियों से भरी बस लेकर बस चालकों को जोखिम लेकर मजबूरन यातायात करना पड़ रहा है. बस जब रिंग रोड से गुजरती है, तो बस में बैठे यात्रियों की धड़कनें तेज हो जाती हैं. बस चालक भी डरते-डरते रेंगते हुए बस को किसी तरह ले जाते हैं. कभी भी अप्रिय घटनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता. जनप्रतिनिधियों को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है. हालांकि, इस बीच नगर निगम की ओर से भी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से भी लगातार बाइपास रिंग रोड के चौड़ीकरण सहित जीर्णोद्धार के लिए प्रयासरत रहे हैं, लेकिन सफलता अबतक नहीं मिल सकी है. नगर आयुक्त प्रमोद कुमार पांडेय व विधायक डॉ मिथिलेश कुमार के अनुसार, नगर निगम की ओर से बाइपास रिंग रोड के जीर्णोद्धार के लिए प्राक्कलन तैयार कर विभाग को पिछले वर्ष ही भेजा जा चुका है. डीएम द्वारा भी विभाग को एनओसी के लिए लिखा गया है. मामला विभाग में लटका हुआ है. विभाग से एनओसी मिलने के बाद ही बाइपास रिंग बांध के जीर्णोद्धार का रास्ता साफ हो पाएगा.
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