बालपन से ही आध्यात्म जुड़ें : पूर्णिमा गार्गी
जिला मुख्यालय, डुमरा स्थित विश्वनाथपुर चौक के समीप एक होटल परिसर में आयोजित साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन गुरुवार को कथावाचिका
सीतामढ़ी. जिला मुख्यालय, डुमरा स्थित विश्वनाथपुर चौक के समीप एक होटल परिसर में आयोजित साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन गुरुवार को कथावाचिका देवी पूर्णिमा गार्गी ने भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं का वर्णन हुए विदुर-सुलभा के भगवत प्रेम, ध्रुवोपरण्यान, अजामिल मुक्ति, भक्त प्रह्लाद व हिरण्यकश्यपु वध की कथा पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि मानव जन्म ईश्वर की भक्ति को प्राप्त करने के लिए मिला है. यह तभी संभव है जब जीव अपने बालपन से ही आध्यात्म से जुड़ जाए. नन्हें भक्त ध्रुव की गाथा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उसने अपनी उम्र के प्रथम चरण में हीं गुरु की कृपा से नारायण की भक्ति को प्राप्त कर लिया था. क्योंकि गुरु की कृपा से हीं व्यक्ति संसार रूपी भवसागर से पार उतरा जा सकता है.
— संत का समागम समाज के लिए कल्याणकारी
देवी गार्गी ने भक्त आजामिल की जीवन गाथा का उदाहरण देते हुए बताया कि गुरु की कृपा से हीं अजामिल के जीवन की यात्रा भक्ति के पथ पर बढ़ पाई. संतों के सान्निध्य से अजामिल ने अपने जीवन को नरकों के संताप से मुक्त किया. संत का समागम समाज के लिए कल्याणकारी होता है. संतों ने जन कल्याण के लिए अपने जीवन की प्रत्येक श्वास को अर्पित किया. ऋषि दधीचि जी के जीवन का उदाहरण देते हुए दान की महिमा पर प्रकाश डाला. कहा कि हर व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी योग्य व्यक्ति को हीं दान करना चाहिए, तभी लाभ होगा. नन्हें भक्त प्रह्लाद के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अपने भक्तों की रक्षा के लिए भगवान नृसिंह जैसे रूप को भी धारण करते हैं. इस दौरान बीच-बीच में संगीतज्ञों की टीम द्वारा प्रस्तुत मनमोहक भजनों के बीच मौजूद श्रद्धालु दर्शक बार-बार भावविह्वल व मंत्रमुग्ध होते रहे. कथा मंच का संचालन करते हुए धर्माचार्य महात्मा सतीश जी ने संचालन समिति के सदस्यों द्वारा शांति व्यवस्था में दिये जा रहे योगदान की सराहना की गई. प्रवचन पंडाल में बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालुओं के साथ ही शहर के गणमान्य मौजूद थे.
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