दो एकड़ सब्जी की खेती से प्रतिदिन पांच से आठ हजार तक की कमाई
बहुत सारे युवा शिक्षित है. उच्च शिक्षा भी हासिल किए हुए है. ऐसे युवाओं की सोच सिर्फ और सिर्फ सरकारी नौकरी करने की होती है.
सीतामढ़ी. बहुत सारे युवा शिक्षित है. उच्च शिक्षा भी हासिल किए हुए है. ऐसे युवाओं की सोच सिर्फ और सिर्फ सरकारी नौकरी करने की होती है. इनमें से कई युवा ऐसे है, जो सरकारी नौकरी की आशा छोड़ खुद का स्टार्ट अप/कारोबार शुरू कर अच्छी कमाई कर एक बेहतर जिंदगी जी रहे है. डुमरा प्रखंड के भासर गांव के अरूण कुमार से युवाओं को सीख लेने चाहिए, जो कहते है कि बाहर में कमाने से अच्छा है घर पर रहकर सब्जी की खेती करना. अरूण सब्जी की खेती से प्रतिदिन इतनी कमाई करते है, जिसे जानकर एक पल किसी को यकीन नहीं होगा. — प्रतिदिन सात से दस हजार की कमाई
अरूण ने बताया कि वे हर सीजन/मौसम के अनुकूल सब्जी की खेती करते है. कद्दू, करैला, बैगन, खीरा, चुकंदर, शिमला मिर्च समेत अन्य सब्जी उपजाते है. फिलहाल खेतों में कद्दू और करैला की खेती है. दोनों सब्जी एक-एक एकड़ में है. दोनों सब्जी की बेहतर पैदावार है. कहते है कि इन सब्जियों की बिक्री से हर रोज सात से दस हजार की कमाई होती है. खास बात यह बताया कि वे सब्जियों में जैविक खाद का उपयोग करते है. किसी भी सब्जी के पौधे में रासायनिक खाद का उपयोग नही करते है. अन्य किसानों से भी अपील किया है कि सब्जियों की खेती में रासायनिक खाद के उपयोग से बचे और जैविक खाद का ही उपयोग करें. सब्जी विक्रेता खेत पर आकर ही सब्जी ले जाते है.बताया कि बाहर में जाकर मजदूरी करने से अच्छा है सब्जी की खेती कर खुशहाल रहना. भले ही उनकी बात किसी को अच्छी नहीं लगे, लेकिन वे अपनी बात खुद पर अजमा कर देख लिए है. इसीलिए दूसरों को भी बाहर जाने और घर पर ही सब्जी की खेती करने की सलाह दे रहे है. कहते है कि किसी बेरोजगार/मजदूर को स्थानीय स्तर पर काम नही मिलता है, तो वो उनके यहां आकर आठ घंटा ड्यूटी करें, उसे 10 हजार का महीना देंगे. अरूण की माने, तो सिर्फ और सिर्फ सब्जी की खेती से खुद का परिवार चलाने के साथ ही दस मजदूर को काम दिए हुए है और उनका परिवार चल रहा है.
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