लू से बचने के लिए खान-पान के साथ दैनिक दिनचर्या में बदलाव जरूरी
अप्रैल महीने में ही गर्मी ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. मौसम के तापमान में बढ़ोतरी से गर्म हवाओं का प्रकोप बढ़ने लगा है.
सीतामढ़ी. अप्रैल महीने में ही गर्मी ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. मौसम के तापमान में बढ़ोतरी से गर्म हवाओं का प्रकोप बढ़ने लगा है. ऐसे मौसम में लू चलने की संभावना बढ़ गई है. मौसम के इस मिजाज को देखते हुए लू से बचाव को लेकर सदर अस्पताल स्थित इमरजेंसी वार्ड में अलग से दस बेड सुरक्षित रखा गया है. ताकि लू लगने से पीड़ित मरीज का सही ढंग से समय पर इलाज किया जा सके. इसको लेकर चिकित्सक, दवा व उपकरण की व्यवस्था की गयी है. भीवीडी नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर के यादव ने बताया कि गर्म तेज हवाओं से शरीर को सुरक्षित एवं अनुकूल करने के लिए खान-पान के साथ दैनिक दिनचर्या में बदलाव करना जरूरी है. साथ ही नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं के पोषण में सुधार कर गर्मी के दुष्परिणामों से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है. इस मौसम में बच्चों को बाहर धूप में खेलने से मना कर के उन्हें चमकी के प्रभाव से भी बचाया जा सकता है. प्राय: ऐसा देखने में आता है कि चमकी का प्रभाव 35 डिग्री से ज्यादा तापमान पर बढ़ जाता है. बच्चे, वृद्ध व गर्भवती महिलाओं को बिना सुरक्षा के धूप में नहीं निकलना चाहिए. दोपहर एक से तीन बजे तक धूप का प्रभाव ज्यादा होता है. इस बीच में बहुत जरूरी नहीं है तो घर से बाहर नहीं निकले. करण कि जिले में दिन- प्रतिदिन तापमान में बढ़ोतरी हो रही है.कारगिल चौक शिव मंदिर के पास स्थित आस्था क्लिनिक के संचालक व जेनरल फिजिसिएयन डॉ मो डी शमीम ने बताया गर्मी के मौसम में लू से बचने के लिए लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है. सुबह घर से निकलने के पहले खाना खाकर निकलना चाहिए. दोपहर में घर से निकलने से बचना चहिए व अधिक धूप की स्थिति में छाता का उपयोग करनी चहिए. गर्भवती महिलाओं को गर्मी के मौसम में लू से बचने के लिए पोषक तत्वों के सेवन के अलावा प्रचुर मात्रा में पानी एवं मौसमी फलों का सेवन जरूर करनी चाहिए. सावधानी के बावजूद लू लगने की स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श जरूरी है. लू लगने पर ओआरएस का घोल पीना चाहिए ताकि पानी की कमी से बचा जा सके.