प्रभु कृपा से ही जीवन में आते हैं अच्छे व बुरे दिन : साध्वी
प्रखंड क्षेत्र के चोरौत पूर्वी पंचायत के सकरम गांव स्थित राम-जानकी मंदिर परिसर में जारी विष्णु महायज्ञ में परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन धूमधाम से श्री कृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया.
चोरौत. प्रखंड क्षेत्र के चोरौत पूर्वी पंचायत के सकरम गांव स्थित राम-जानकी मंदिर परिसर में जारी विष्णु महायज्ञ में परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन धूमधाम से श्री कृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया. कथा वाचिका चंचला दीदी ने कहा कि बाल गोपाल का जन्म देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में हुआ है. मनुष्य के जीवन में अच्छे व बुरे दिन प्रभु की कृपा से ही आते हैं. जिस समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, जेल के ताले टूट गये. पहरेदार सो गये. वासुदेव व देवकी बंधन मुक्त हो गए. प्रभु की कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है. कृपा न होने पर प्रभु मनुष्य को सभी सुखों से वंचित कर देते हैं. भगवान का जन्म होने के बाद वासुदेव ने भरी जमुना पार करके उन्हें गोकुल पहुंचा दिया. वहां से वह यशोदा के यहां पैदा हुई शक्ति रूपा बेटी को लेकर चले आये. कृष्ण जन्मोत्सव पर नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की गीत पर भक्त जमकर झूमे. कहा कि जीवन में व्यक्ति जब धर्म करता है तब वह देवता हो जाता है. पुराणों में भी आया है “देवो भूत्वा यजते देवमः ” भागवत कथा में शांति है जो एक सामान्य व्यक्ति को भी देवता बना देता है. क्योंकि भागवत कथा परमात्मा की कथा है. वह परमात्मा इतने परम दयालु हैं जो दुर्योधन के छप्पन भोग त्यागकर विदुर के घर केले के छिलके खाने पहुच जाते है. व्यक्ति की मानसिकता अगर बदल जाए तो कथा सुनाना सफल हो जाता है. धर्म के नाम पर जीव हत्या ना करें. क्योंकि सनातन धर्म कभी भी जीव हत्या के पक्ष में नहीं है. कथा में अजामिल ब्राह्मण के प्रसंग में सदा नाम जप की महिमा की चर्चा गई. कलयुग में में नाम जप से बढ़कर कुछ भी श्रेष्ठ नहीं है. श्रीकृष्ण की भक्ति आ गई तो ऐसा समझना चाहिए कि जीवन सफल हो गया.
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