ईमानदारी की पाठशाला: यहां बगैर दुकानदार के चलती है दुकान

जिले के डुमरा प्रखंड के कृषि प्रधान गांव स्थित बेरबास मध्य विद्यालय में बच्चों को शिक्षा के साथ धरातल पर ईमानदारी का पाठ पढ़ाया जा रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 12, 2024 9:39 PM

अमिताभ कुमार,सीतामढ़ी जिले के डुमरा प्रखंड के कृषि प्रधान गांव स्थित बेरबास मध्य विद्यालय में बच्चों को शिक्षा के साथ धरातल पर ईमानदारी का पाठ पढ़ाया जा रहा है. प्राचार्य मनोज कुमार यादव व अन्य शिक्षकों के सहयोग से स्कूली बच्चे दिन-प्रतिदिन ईमानदारी का पाठ पढ़कर अपने जीवन में आत्मसात कर रहे हैं. इसके अलावा बच्चों को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने व खेती-बाड़ी की ओर आकर्षित करने के लिए आज भी पोषण वाटिका का संचालन किया जा रहा है. बच्चों के श्रम से स्कूल परिसर में साग-सब्जी की खेती हो रही है. पर्यावरण का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है. इसको लेकर स्कूल परिसर में छायादार व फलदार वृक्ष सबों को आकर्षित करते हैं.

रुपये रखकर बच्चे खुद उठा लेते हैं पाठ्य सामग्री

विद्यालय में स्कूल प्रबंधन की ओर से स्कूल में ईमानदारी की दुकान नामक एक दुकान खोली गयी है. उसमें कलम, पेंसिल व कॉपी समेत अन्य पाठ्य सामग्री की व्यवस्था की गयी है. यह दुकान प्रधानाध्यापक एवं सभी शिक्षकों के सहयोग से बाल संसद एवं मीना मंच से संचालित की जा रही है. दुकान के अंदर दीवार पर एक बैनर लटका हुआ है. उसपर कलम, कॉपी, पेंसिल, रबड़, कटर व स्केच का मूल्य लिखा हुआ है. बैनर पर यह भी लिखा गया है कि ईमानदारी सर्वोत्तम नीति एवं राष्ट्र निर्माण की नींव है. दुकान में कोई दुकानदार नहीं है. बच्चे वहां से अपनी जरूरत की वस्तु उठाते हैं. बैनर पर मूल्य देखकर दुकान में पैसा रख देते हैं. खास बात यह भी है कि कलम, कॉपी, पेंसिल, रबर सहित अन्य सामान बच्चों को यहां पर बाजार दर से कम कीमत पर मिल जाता है.

स्कूल व प्रधानाध्यापक को मिल चुका है राजकीय सम्मान

स्कूल को मॉडल के रूप में स्थापित करने में सफल हो रहे प्रधानाध्यापक मनोज यादव को 2019 में सीएम नीतीश कुमार ने शिक्षक दिवस पर राजकीय शिक्षक पुरस्कार सम्मान से सम्मानित किया था. इसी प्रकार 2021 में स्कूल को तत्कालीन शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार से सम्मानित किया था. 2022 में भी स्कूल को पुन यह पुरस्कार दिया गया. बच्चों को स्मार्ट क्लास देने की चर्चा जब विधानसभा में गूंजी, तो प्रधानाध्यापक ने सरकारी राशि का इंतजार किए बिना अपने निजी कोष से इसका संचालन शुरू कर दिया था.

कोट-

बच्चों को स्कूल में ईमानदारी का पाठ पढ़ाया जाता है. ताकि वह स्कूल जाने के बाद घर और बाहर में ईमानदारी से काम करें. अपने जीवन में ईमानदारी से आगे बढें. 2016 में जब उन्होंने विद्यालय में पदभार संभाला, तो उनके मन में विचार आया कि क्यों न इस विद्यालय को एक अनोखा स्कूल बनाया जाए. इसके लिए उन्होंने बच्चों को शिक्षा देने के साथ देश का एक ईमानदार नागरिक बनाने का मन बनाया. उसी प्रयास की शुरुआत ईमानदारी की दुकान है. बच्चे सामान लेते हैं. ईमानदारी से वहां पैसा रख देते हैं. कभी हिसाब में अंतर नहीं आया है. यह बच्चों की ईमानदारी का प्रमाण है.

मनोज कुमार यादव, प्रधानाध्यापक

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version