क्रोध को जीत लेने के कारण हमेशा मुस्कुराते रहते हैं भगवान श्रीराम : रामभद्राचार्य

माता सीता की प्राकट्य-भूमि, पुनौराधाम के सीता प्रेक्षागृह सभागार में जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज ने संगीतमय श्रीराम कथा के पांचवे दिन सीता स्वयंवर की कथा सुनायी.

By Prabhat Khabar News Desk | May 13, 2024 8:58 PM

सीतामढ़ी. माता सीता की प्राकट्य-भूमि, पुनौराधाम के सीता प्रेक्षागृह सभागार में जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज ने संगीतमय श्रीराम कथा के पांचवे दिन सीता स्वयंवर की कथा सुनायी. रामभद्राचार्य जी ने मिथिला भाव में आजू मुदित अवध नर नारी सजनी, चारो बहुओं में सिया सुकुमारी सजनी गाकर भाव विभोर कर दिया. जगद्गुरु ने कहा कि श्रीराम में पंद्रह गुण तत्व विराजमान हैं, इसलिए शिव धनुष भंजन के बाद परशुराम जी का क्रोध भी पंद्रह दोहे में वर्णित है. राम सहनशील बनकर मुस्कुराते हुए सह जाते हैं. राम प्राकट्य भूमि, अयोध्या धाम में स्थापित राम लला का विग्रह विश्व की सबसे सुंदर छवि है. राम पंद्रह गुण के कारण हमेशा पंद्रह वर्ष के युवा जैसे दिखते हैं. राम की मुस्कुराहट सबसे प्रिय मुस्कान है. गुरु पूजन करना, देवता पूजन, प्रतिभावान पूजन और प्रसन्न रहना उनका विशेष गुण है. राम सौम्य, शांत और स्थिर हैं. राम ने क्रोध को जीत लिया है, इसलिए सदा मुस्कुराते रहते हैं. पंद्रह तपस्या, पंद्रह तप से राम ने क्रोध को ही जीत लिया. मर्यादा में रहकर शांति से कथा श्रवण करना चाहिए.

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