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मिथिला के स्नेह, सत्कार और आतिथ्य को भुलाया नहीं जा सकता : रामभद्राचार्य

नौ दिवसीय जानकी प्राकट्योत्सव संपन्न होने के बाद शनिवार की सुबह आह्लादित होकर तुलसीपीठाश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज पुनौराधाम से विदा हो गये.

सीतामढ़ी. नौ दिवसीय जानकी प्राकट्योत्सव संपन्न होने के बाद शनिवार की सुबह आह्लादित होकर तुलसीपीठाश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज पुनौराधाम से विदा हो गये. प्रस्थान करने से पूर्व उन्होंने कहा कि बहुरानी सीता की धरती के लोग उन्हें अपने समधी के रूप में जो स्नेह, सत्कार और आतिथ्य सत्कार दिया. यहां समधिन से गारी सुनकर जो आनंद मिलता है, वह अन्यत्र दुर्लभ है. श्रीराम जन्मभूमि के अनुरुप इस धरती का विकास होगा और इस भूमि के चतुर्दिक साधना रत साधु संत ऋषि महर्षि के आश्रम का भी उसी तरह विकास होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी से महारानी सुनैना की गोद शोभित बाल रूप जानकी सीता की दिव्य स्वरूप का अनावरण वैदिक रीति से करायेंगे. उन्होने जानकी नवमी के अवसर पर 1100 रक्त कमल के फूल से जानकी जी का अभिषेक करते हुए इसका संकल्प लिया. जगत गुरु श्रीरामभद्राचार्य व उनके उत्ताराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास जी की विदाई के वक्त मुख्य यजमान जानकी नंदन पांडेय, मारुत नंदन पांडेय, रघुनाथ तिवारी, शंकर कुमार, राम छबिला चौधरी व सुशील कुमार सुंदरका समेत अन्य मौजूद थे.

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