जिसका मन स्थिर, साधना उतनी सुंदर : कथावाचक
डुमरा प्रखंड के हरि छपरा स्थित श्री सीताराम नाम सुखधाम आश्रम में चार जून से आयोजित श्री सीताराम नाम रूप लीला धाम महायज्ञ स्थल पर संध्या काल लुधियाना, पंजाब से आये परम श्रद्धेय भैया श्री पुनित जी महाराज भक्त माली द्वारा प्रवचन किया जा रहा है.
सीतामढ़ी. डुमरा प्रखंड के हरि छपरा स्थित श्री सीताराम नाम सुखधाम आश्रम में चार जून से आयोजित श्री सीताराम नाम रूप लीला धाम महायज्ञ स्थल पर संध्या काल लुधियाना, पंजाब से आये परम श्रद्धेय भैया श्री पुनित जी महाराज भक्त माली द्वारा प्रवचन किया जा रहा है. बुधवार को उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य के स्वभाव में पांच वर्ष के बाद परिवर्तन होता है. बालक में 10 वर्ष बाद व बौद्धिक अवस्था में 25 वर्ष बाद परिवर्तन होता है. वहीं, योनि परिवर्तन में 100 वर्ष लग जाता है. यह प्रक्रिया सात जन्म तक लगा रहता है. जिस व्यक्त का मन जितना स्थित होगा, उसकी साधना उतनी ही सुंदर होगी. श्री जानकी चरितामृतम की कथा में श्री जनक जी अपने प्राण प्रीतम प्रभु श्री राम से जगत के जीवों के उद्धार के लिए धरती पर अवतार लेकर अपने मनोरम चरित्रों के द्वारा अनंत जीवों को कल्याणार्थ प्रार्थना किया, जिसे प्रभु ने सहर्ष स्वीकार किया. श्री अयोध्या ,श्री वृंदावन, श्री चित्रकूट व श्री जनकपुर धाम क्षेत्रों से संत भक्तों का समागम हुआ है. अनंत श्री नाम जापक श्री जानकी शरण जी महाराज जो परमवितरागी, परम त्यागी, परम भजननंदी भागवत प्राप्त महापुरुष की दिव्य तपो भूमि पर विशेष आयोजन हो रहे है. मौके पर मुख्य यजमान चंदन जी, दिनेश प्रसाद, मुख्य यजमान डॉ रामबरन सिंह, मृदुल सखी, डॉ घनश्याम पमरा, माधव दास जी, मैथिली शरण, अवधेश कुमार शरण, बालक दास, लालबाबू मुखिया, रामानुज जी, अवधेश शरण जी व महंत भूषण दास जी समेत अन्य मौजूद थे.
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