रीगा. अयोध्या के प्रख्यात श्रीमद्भागवत कथा वाचक करण-अर्जुन जी महाराज ने डुमरी कला मुक्तिधाम त्रिवेणी संगम तक के किनारे आयोजित भव्य कथा पंडाल में नौ दिवसीय कथा वाचन के पांचवें दिन धुंधकारी के चरित्र के बारे में विस्तार से बताया. श्रीमद्भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि रामकथा जीने की कला सिखाता है, तो भागवत कथा काम करने की कला सिखाती है. श्रीमद् भागवत कथा में श्री कृष्ण ने अर्जुन को सिर्फ काम करने के बारे में बताया. युद्ध के मैदान में जब अर्जुन को मोह पैदा हुआ, उस मोह को श्री कृष्ण ने अपनी वाणी और तर्क से खत्म किया, तब जाकर अर्जुन युद्ध के मैदान में अपने सगे संबंधियों से युद्ध करने को तैयार हुए. श्री कृष्ण ने युद्ध के फल की चिंता न करने की बात बतायी. कथा के मध्य में धुंधकारी जैसे महापापी को किस प्रकार गोकर्ण जी महाराज भागवत कथा सुनाकर प्रेत आत्मा धुंधकारी को भागवत धाम पहुंचाया, इसके बारे में विस्तार से बताया. कथा आयोजन समिति के अध्यक्ष दिनेश सिंह, लालबाबू सिंह, सचिव उज्जवल कुमार सिंह ने बताया कि 21 जून को कथा यज्ञ की पूर्णाहूति होगी.
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