श्रीराम कथा के माध्यम से भारतीय संस्कृति को परोसता हूं : रामभद्राचार्य
जानकी नवमी के पावन अवसर पर नगर स्थित श्री सीता प्राकट्य भूमि, पुनौरा धाम स्थित सीता प्रेक्षागृह में गुरुवार को तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने नौ दिवसीय दिव्य श्रीराम कथा के आठवें दिन की कथा को आगे बढ़ाया.
सीतामढ़ी. जानकी नवमी के पावन अवसर पर नगर स्थित श्री सीता प्राकट्य भूमि, पुनौरा धाम स्थित सीता प्रेक्षागृह में गुरुवार को तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने नौ दिवसीय दिव्य श्रीराम कथा के आठवें दिन की कथा को आगे बढ़ाया. सियाजी बहिनियां हमार हो, राम लगिहें पहुनवा…गीत के साथ सरिता ने कथा संध्या का शुभारंभ किया. मुख्य यजमान जानकी नंदन पांडेय व दैनिक यजमान मनीष कुमार सिंह ने सपत्निक गुरु पूजन और श्री रामचरित मानस का पूजन किया. प्रमुख सहयोगी रघुनाथ तिवारी, शंकर कुमार, राम कुमार आदि निरंतर कथा व्यवस्था में सहयोग करते रहे. जगद्गुरु के उत्तराधिकारी स्वामी रामचंद्र दास जी ने जगत गुरु श्रीरामभद्राचार्य महाराज के गुणगान किया. इसके बाद कथा प्रारंभ हुआ. जगद्गुरु ने उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि आपके उत्साह के आगे भवन छोटा पड़ रहा है, अगले वर्ष इसका विस्तार होगा. कल दिन के 12.00 बजे जगज्जननी देवी सीता का प्राक्टय उत्सव पर महा-आरती के साथ कथा का विराम होगा. कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सीता जी अपने दुल्हा वरण करती हैं, इसे स्वयंवर कहते हैं. रुक्मणी का हरण हुआ था और सीता का वरण. सीता जी के कारण ही मिथिला है. पुनौराधाम में बहुत आचार्यों ने आकर अपने-अपने दर्शन का सीता कुंड पर बैठकर निर्माण किया था. गौतम जी भी यहीं ग्रंथ का निर्माण किये थे. कहा कि जिनके पास धर्म हो, जीवों पर दया हो, सर्वगुण संपन्न हों, उसी का वरण करेंगी सीता. मैं सिर्फ कथा वाचक नहीं हूं, श्रीराम कथा के माध्यम से भारतीय संस्कृति को परोसता हूं. कहा कि शिव जी अवतारी हैं और हनुमान उनका अवतार हैं. शंकर जी और हनुमान जी पूर्ण हैं. शंकर जी से अधिक हनुमान जी पूर्ण हो गए हैं. कहा कि मैंने हनुमान चालीसा को शुद्ध किया. 108 बार पाठ करने वाले पाठक सारे बंधनों से मुक्त होंगे, इसमें संशय नहीं है.
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