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सिर्फ नेपाली नागरिकता त्याग देने से भारत की नागरिकता नहीं मिल जाती

सोनबरसा प्रखंड की भकुआहा मुखिया बिल्टु राय के नेपाली नागरिकता के चलते आयोग व हाइकोर्ट के स्तर से कृत कार्रवाई से वे सुर्खियों में है.

सीतामढ़ी. सोनबरसा प्रखंड की भकुआहा मुखिया बिल्टु राय के नेपाली नागरिकता के चलते आयोग व हाइकोर्ट के स्तर से कृत कार्रवाई से वे सुर्खियों में है. साथ ही कार्रवाई से अब लोगों में भी बेचैनी बढ़ गयी है, जो बिना नेपाल का नागरिकता त्याग किए भारत में जनप्रतिनिधि या सरकारी सेवा में है. बहरहाल, हाल में दुबारा मुखिया की कुर्सी पर बैठे राय के हाथ से यह कुर्सी शीघ्र चली जायेगी. कारण कि उनकी अपील को खारिज करने के साथ ही हाइकोर्ट ने अंतरिम आदेश को निरस्त कर दिया है. इसी आदेश से वे दूसरी बार मुखिया बने थे.

— 2043 वोट पाकर जीते थे बिल्टु

गौरतलब है कि वर्ष 2021 में बिल्टु राय ने 2043 वोट हासिल कर मुकेश कुमार साह को हराया था. अपील वाद में राय ने कहा था कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य नेपाल का नागरिक नही है और न वहां संपत्ति है. वे लरकवा गांव के निवासी है. वर्ष 1986 में मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा बिहार से ही पास की थी. उनके पास आधार कार्ड व वोटर आई कार्ड भी है. 1996 से 2006 तक पासपोर्ट भी था. राय के नेपाली नागरिक होने की शिकायत पर आयोग द्वारा डीएम से रिपोर्ट मांगी गयी थी. डीएम ने नेपाल के वीरगंज स्थित महावाणिज्य दूतावास (भारत) से रिपोर्ट प्राप्त कर आयोग को भेज दी थी. कोर्ट में राय ने बताया था कि वे भारत में रहते हुए नेपाल के पिपरिया में अनाज की दुकान चलाते थे. वर्ष 2006 में नेपाल में आंदोलन के दौरान लोगों के अभिलेखों को जला दिया गया था. बाद में सरकार ने लोगों की सूची तैयार की, जिसमें राय का भी नाम शामिल कर लिया गया, जबकि इसके लिए आवेदन भी नहीं किया था. इसकी जानकारी होने पर वर्ष 2016 में नाम हटाने को आवेदन दिया. 21 मार्च 2023 को राय की नागरिकता रद्द की गयी. राय के खिलाफ कोर्ट में यह बात कही गयी कि नेपाली नागरिक होने के कारण ही वे वर्ष 2006 के बाद पासपोर्ट का नवीकरण करा सके थे. इस दलील के साथ आयोग के वकील ने आयोग के निर्णय को सही ठहराया था. कहा गया था कि ऐसा नहीं है नेपाली नागरिकता का त्याग कर देने से कोई स्वत: भारत का नागरिक बन जाता है. इसके आलावा पैन कार्ड, वोटर आइकार्ड और आधार कार्ड भारतीय नागरिकता का प्रमाण नहीं है. आयोग के अधिवक्ता की दलीलों से संतुष्ट होकर हाइकोर्ट द्वारा राय की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि इसमें कोई दम नहीं है.

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