क्रांतिवीर परशुराम जी ने भारत का इतिहास बदल दिया : रामभद्राचार्य
लक्ष्मी स्वरूपा मां सीता की प्राकट्य भूमि, पुनौरा धाम स्थित सीता प्रेक्षागृह में श्री जानकी नवमी के पावन अवसर पर अक्षय तृतीया से एक दिन पूर्व गुरुवार से प्रारंभ श्रीराम कथा के दूसरे दिन जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज ने अक्षय तृतीया यानी भगवान परशुराम की जयंती पर भगवान परशुराम की महिमा का बखान किया.
सीतामढ़ी. लक्ष्मी स्वरूपा मां सीता की प्राकट्य भूमि, पुनौरा धाम स्थित सीता प्रेक्षागृह में श्री जानकी नवमी के पावन अवसर पर अक्षय तृतीया से एक दिन पूर्व गुरुवार से प्रारंभ श्रीराम कथा के दूसरे दिन जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज ने अक्षय तृतीया यानी भगवान परशुराम की जयंती पर भगवान परशुराम की महिमा का बखान किया. कहा कि क्रांतिवीर परशुराम जी ने भारत का इतिहास बदल दिया. अन्याय के विरुद्ध आंदोलन कर नीतिपूर्ण काम के लिए मनुष्य को प्रेरित किया. सीता माता की जन्मभूमि पुनौराधाम ही है. इसे अयोध्या की तरह विकास करना है. प्रभु श्री राम के करुणा के कारण सभी कुछ प्राप्त हुआ है. सियाराम नाम भक्ति से सब प्राप्त हुआ. जीवन में कुछ भी शेष नहीं रहा है. धन्य धन्य पुनौराधाम हे जहां सीता प्रगट भए… गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते रहे. श्रोता तालियां बजाकर संगीतमय वातावरण को और आनंदमय बनाने को विवश होते रहे. — शिव धनुष से खेलती थीं माता सीता.जगद्गुरु ने कहा कि सीता माता शिव धनुष से खेलती थीं. हजारों बार घोड़ा बनाकर कौड़ा से मारकर खेलती थीं. राजा जनक मना करते, तो कहती घोड़ा बड़ा अड़ियल है. भगवान परशुराम ने स्वयं राजा जनक से कहा कि जो शिव धनुष को तोड़ेगा, उसी से सीता का विवाह कीजिएगा. सीता साधारण कन्या नहीं हैं. भगवान राम करुणा के सागर हैं. उनके करुणा का कोई कारण नहीं है. भगवान राम की करुणा ही सीता हैं.इससे पूर्व मुख्य यजमान जानकी नंदन पांडे ने अपनी धर्मपत्नी के संग गुरु-पूजन किया. साथ में जिला परिषद उपाध्यक्ष प्रतितिधि श्रीनारायण सिंह, प्रवीण कुमार, शिवेश ब्रह्मर्षि, धनुषधारी सिंह, रमाशंकर शास्त्री, दिनेश चंद्र द्विवेदी, बाल्मिकी कुमार, राजेश बजाज, कृष्ण कन्हैया, बलिराम चौधरी, प्रो उमेश चंद्र झा व अन्य गणमान्य लोगों ने भी गुरु-पूजन कर कथा श्रवण किया.
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