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नेपाल बस हादसा : बैरगनिया के ऋषिपाल का बरामद किया शव,

नेपाल के चितवन जिले के नारायणघाट-मुग्लिंग मार्ग पर भरतपुर महानगरपालिका के वार्ड नंबर 29 के सिमलताल में शुक्रवार को काठमांडू से गौर(रौतहट) आ

सीतामढ़ी/बैरगनिया. नेपाल के चितवन जिले के नारायणघाट-मुग्लिंग मार्ग पर भरतपुर महानगरपालिका के वार्ड नंबर 29 के सिमलताल में शुक्रवार को काठमांडू से गौर(रौतहट) आ रही गणपति डिलक्स बस के भूस्खलन के बाद त्रिशूली नदी में गिरने से लापता यात्रियों में जिले के बैरगनिया थाना क्षेत्र के जमुआ गांव के दो युवक भी शामिल है. इनकी पहचान गांव के ऋषिपाल साह(30 वर्ष) व विवेक कुमार(25 वर्ष) के रुप में की गयी है. हालांकि शनिवार को चितवन पुलिस ने नारायणी नदी में तैरते अवस्था में ऋषिपाल का शव बरामद कर लिया. वहीं, विवेक का सुराग नहीं मिल सका है. दोनों युवकों के घर कोहराम मचा हुआ है. मिली जानकारी के अनुसार, जमुआ गांव के भरत प्रसाद साह के अविवाहित पुत्र विवेक कुमार गत शुक्रवार को घूमने काठमांडू गया था. वहां उसे ऋषि ने घुमा दिया. ऋषि काठमांडू में रहकर अपने मंझले भाई सत्यपाल साह(24) के साथ मिलकर किराना व जेनरल स्टोर्स की दुकान चलाता था, चूंकि ग्रामीण विवेक गया था तो वह भी अपनी पत्नी को घर से लाने के लिए विवेक के साथ गणपति डीलक्स बस काठमांडू से पकड़ ली. बस नारायणगढ़-मुग्लिंग सड़क खंड में सिमलताल के पास सुबह करीब 3.30 बजे भूस्खलन के दरम्यान त्रिशूली नदी में समा गयी. बस हादसे के बाद से दोनों परिवारों पर कहर टूट गया. घर मे रोने-विलखने का चीत्कार सुनायी देने लगा. गांव के लोग मर्माहत हो गए.

— … हमर त सब कुछ लूट गेल

ऋषि के पिता जयराम साह चीत्कार मारकर कहते हैं कि हमर त सब कुछ लूट गेल, “कमाए वाला बेटा न रहल ” अब केकड़ा सहारे घर चलतई. हे भगवान कोण जन्म के सह देला. जयराम साह ने बताया कि उसी की कमाई से घर, परिवार चल रहा था. मंझला बेटा काफी सीधा साधा है. ऋषि की पत्नी सीमा देवी(26) की चीत्कार से सभी की आंखे नम हो जा रही है. पुत्र रोहित कुमार( नौ वर्ष), पुत्री ज्योति कुमारी(पांच वर्ष), आरोही कुमारी (दो वर्ष) दादा की गोद में एकटक निहार रही थी. इन बच्चों क यह भी पता नहीं कि उसके सिर के पिता का साया उठ चुका है.

— विवेक के घर आने की राह देख रहा बदहवास पिता

लापता विवेक की मां गीता देवी, बहन काजल कुमारी बिल्कुल बेसुध हो चुकी है. पिता भरत प्रसाद साह बेटे के आने की राह देख रहे हैं. भरत साह कहते हैं कि मेरे गांव के किराना दुकान का बखूबी संचालन विवेक ही करता था. अब कइसे होतई घर के गुजारा हे भगवान. कहकर फफक फफक कर रोने लगते हैं.

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