भाई-बहन के अगाध प्रेम को प्रदर्शित करता है सामा चकेवा

मिथिलांचल का पुरातन परंपराओं से जुड़ा लोकपर्व सामा चकेवा अब भी धूमधाम से मनाया जाता है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 12, 2024 10:20 PM

पुपरी. मिथिलांचल का पुरातन परंपराओं से जुड़ा लोकपर्व सामा चकेवा अब भी धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व भाई-बहन के अगाध प्रेम की अमर गाथा को प्रदर्शित करता है. मान्यता के अनुसार सामा चकेवा गांव की नव युवतियों व महिलाओं के द्वारा छठ व्रत की खरना यानी पंचमी की रात से ही प्रत्येक आंगन में नियमित रूप से महिलाएं पहले बटगवनी , ब्राह्मण गीत, गोसाउनीक गीत, समदाउन लोक गीत गाकर मनाती है. इस दौरान बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र व सुख समृद्धि के लिए यह पर्व पूरे विधि- विधान के साथ मनाती है. यह भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की धरोहर है. ग्रामीण इलाका आज भी सुंदर और स्वस्थ है. यहां की माताएं बहने बड़े- हर्षोल्लास के साथ इसे मनाती है. शहरों में बसने वाले पश्चिमी सभ्यता के चकाचौंध में इसको भले हीं भूलते जा रहे हैं, पर गांवों में अब भी शाम होते हीं सामा-चकेवा की परंपरागत गीत सुनने को मिलती है. नगर परिषद वार्ड नं 20 व प्रखंड क्षेत्र के डुम्हारपट्टी गांव में सामा चकेवा खेलती बहन शिवानी राज, उषा देवी, अर्पिता, कंचन, अंजली, अंशु, नंदनी, सीमा, सुष्मिता, तुलसी, मुस्कान समेत अन्य माताएं एवं बहनों ने बताया कि भाईयों के लंबी उम्र व सुख – समृद्धि को लेकर सामा चकेवा का आयोजन किया जाता है. जो कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि खरना से प्रारंभ होता है. इसका समापन पूर्णिमा को भाईयों के फार भरने व समा चकेवा के विदाई के साथ होता है.

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