तिनका-तिनका जोड़ने वाले संजीव का उजड़ गया घोंसला

लुधियाना में खून-पसीना बहाकर दिहाड़ी मजदूरी करने वाले संजीव साह को क्या पता था कि एक ही झटके में पत्नी के क्रोध की आग में उसके सपने और जीने का सहारा सबकुछ खत्म हो जायेगा.

By Prabhat Khabar News Desk | August 28, 2024 9:36 PM

अमिताभ कुमार, सीतामढ़ी. चिलचिलाती धूप हो या हाड़ कंपकंपा देने वाली ठंड. अपनी पत्नी मंजु व मासूम तीन बच्चों को सुख-सुविधा देने के लिए 12 माह तक लुधियाना में खून-पसीना बहाकर दिहाड़ी मजदूरी करने वाले संजीव साह को क्या पता था कि एक ही झटके में पत्नी के क्रोध की आग में उसके सपने और जीने का सहारा सबकुछ खत्म हो जायेगा. जान से ज्यादा बच्चों व पत्नी को चाहने वाले संजीव के सर से बचपन में ही माता-पिता का साया हट गया था. ग्रामीण महिला बेबी देवी, जलई देवी व कंचला देवी बताती है कि शांत व मिलनसार स्वभाव के संजीव का किसी से बैर नहीं थी. बचपन में माता-पिता की मौत के बाद वह गलत संगत में नहीं पड़ा. उसने दया की भीख से अपना पेट पालने के बजाये मेहनत-मजदूरी करने का मन बना लिया. वह सिलाई का काम करने लगे. धीरे-धीरे वह कुशल कारिगर बन गया. भविष्य के लिए उसने रुपया जोड़ना शुरू किया. उसने सबसे पहले अपनी दो छोटी बहन कुंति व सनैना की शादी रजवारा व लक्ष्मीपुर गांव में की. उसके बाद तिनका-तिनका जोड़कर उसने अपना घर बनाया. ग्रामीण सुशील व रामईश्वर साह कहते है कि वह अंतिम बार होली में आया था. सात-आठ साल पहले उसकी शादी हो गयी. शादी के बाद पूरा परिवार खुशहाल जीवन जी रहा था. लेकिन तकदीर को कुछ और ही मंजूर था. –संजीव के आने के इंतजार में गांव की पगडंडी पर टिकी थी ग्रामीणों की नजर पूरे गांव में तीन बच्चों के साथ आत्महत्या करने वाली महिला के प्रति सहानुभूति कम और क्रोध ज्यादा दिख रहा था. घटनास्थल पर ज्यादा तो आसपास के दो किमी में बरगद के पेड़ के नीचे, दुकान के समीप व खेत-खलिहान में बैठे लोग सिर्फ और सिर्फ घटना को लेकर चर्चा कर दुखी हो रहे थे. हालांकि लगातार प्रशासनिक वाहनों के काफिले को देखकर सन्नाटा भी फैल जा रहा था. किसी पचड़े में फंसने से लिए वह पुलिस प्रशासन के सवाल-जवाब से बचने का प्रयास भी कर रहे थे. पुलिसिया सवाल का जवाब खासतौर पर मुखिया भारत-भूषण व सुशील नामक व्यक्ति दे रहे थे. इधर, गांव के लोगों की टकटकी यात्री वाहनों पर टिकी थी. बेसब्री से लुधियाना से चले संजीव के घर पहुंचने का इंतजार कर रहे थे. भावुक स्वभाव के संजीव के घर पहुंचने को लेकर सब चिंतित थे कि कहीं रास्ते में उसके साथ कोई अनहोनी न हो जाये. तीनों बहन के चित्कार से फट रहा था ग्रामीणों का कलेजा सीतामढ़ी. घटनास्थल पर संजीव के एक बड़ी कैलसिया व दो छोटी बहन कुंति देवी व सुनैना देवी के चित्कार से ग्रामीणों का कलेजा फट रहा था. तीनों भतीजा का नाम लेकर वह बार-बार रो रही थी.

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