पूर्णिया में सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र प्रस्तुति पुरस्कार से सम्मानित हुए वैज्ञानिक
नगर पंचायत अंतर्गत मैदान गांव निवासी वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार को बिहार कृषि विश्वविद्यालय के भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज
सुरसंड. नगर पंचायत अंतर्गत मैदान गांव निवासी वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार को बिहार कृषि विश्वविद्यालय के भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज, पूर्णिया में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र प्रस्तुति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर व कृषि मंत्री मंगल पांडेय द्वारा उद्घाटित उक्त सम्मेलन में देश भर के लगभग तीन सौ वैज्ञानिकों व शोधार्थियों ने भाग लिया, जिसमें डॉ मनोज ने मखाना उत्पादन व गुणवत्ता में वृद्धि को ले सूक्ष्म पोषक तत्वों के महत्व पर किये गए अपने अनुसंधानों को प्रस्तुत किया. उपलब्ध शोध परिणामों के मद्देनजर उन्होंने जोर दिया कि भारतीय मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी लगातार बढ़ती जा रही है. इससे मृदा की उर्वरता, कृषि उत्पादकता व मानव स्वास्थ्य प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहे हैं. फसल उत्पादन व मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के संबंधित प्रभावों को देखते हुए भारतीय कृषि में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व और बढ़ गया है. मखाने में पाई जानेवाली पौष्टिकता व औषधीय गुणों की प्रचुरता को देखते हुए पूरी दुनिया में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है. सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा व मधुबनी समेत पूरे उत्तर बिहार के किसानों व उद्यमियों को एक सुनहरा मौका प्राप्त हुआ है. राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा में सेवारत बतौर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ मनोज ने बताया कि त्वरित अनुसंधान, विकसित तकनीकों व सकारात्मक नीतियों के चलते विगत पांच वर्षों में मखाना उत्पादन का क्षेत्र लगभग दुगुना हुआ है. साथ ही इस सुपर फूड की उत्पादकता व संलग्न किसानों की आमदनी में भी आशातीत वृद्धि हुई है. हालांकि सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण जैसे जिलों में उपलब्ध जलवायवीय अनुकूलता के बावजूद यहां के किसानों व उद्यमियों को अब तक इसका अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया है. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में मखाना उत्पादन व मखाना आधारित उद्योगों के त्वरित विकास से यहां की कृषि अर्थव्यवस्था को निश्चय ही मजबूती मिलेगी.
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