वैदिक संस्कृति की व्याख्या है श्रीराम-कथा : रामभद्राचार्य

जानकी नवमी के पावन अवसर पर मां सीता की प्राकट्य-भूमि, पुनौराधाम स्थित सीता प्रेक्षागृह में जगतगुरु तुलसी पीठाधीश्वर श्री रामभद्राचार्य जी महाराज द्वारा श्रीराम-कथा के चौथे दिन भी श्री सीताराम जी की महिमा का वर्णन किया.

By Prabhat Khabar News Desk | May 12, 2024 10:05 PM

सीतामढ़ी. जानकी नवमी के पावन अवसर पर मां सीता की प्राकट्य-भूमि, पुनौराधाम स्थित सीता प्रेक्षागृह में जगतगुरु तुलसी पीठाधीश्वर श्री रामभद्राचार्य जी महाराज द्वारा श्रीराम-कथा के चौथे दिन भी श्री सीताराम जी की महिमा का वर्णन किया. कथा के आरंभ में खुशबू झा ने भक्ति गीत प्रणवऊ चरण कमल सियतेरी, जासु ऋषि मुनि नित ध्यान लगावत, मन हर्षित झूमे आज मिथिला में धूम मची है…,अपन किशोरी जी के टहल बजयबै हे मिथिले में रहबई.. प्रस्तुत कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया. जगद्गुरु ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हिंदू वैदिक संस्कृति की व्याख्या श्रीराम-कथा है. कथा की गुणवत्ता से आत्म संतुष्टि होती है. कथा की चार विशेषता है. पुराण सम्मत, वेद सम्मत, संस्कृत नाट्य कथा. रामायण का सार ही कथा की गुणवत्ता और विशेषता है. रघुपति से स्नेह रखने वाले ही कथा श्रवण करते हैं. अनेक आत्माओं की आत्मीय सुख के लिए श्रीराम-कथा है. वैष्णव जाति के लिए कथा श्रवण कराया जाता है. अपने आराध्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए कथा कही जाती है. — हनुमान प्रसन्न हो गए तो जरूर मिल जाएंगे राम. जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि प्रभु चरित्र के कथा श्रवण में श्री हनुमान सबसे बड़े रसिया श्रोता हैं. श्रीराम दोषरहित हैं. उनमें कोई अवगुण नहीं है. जितना प्रेम सीताजी राम से करती हैं, उससे दोगुणा प्रेम भगवान राम भगवती सीता से करते हैं. यदि हनुमान जी प्रसन्न हो गए, तो प्रभु राम जरूर मिल जाएंगे. — मिथिला का सबसे बड़ा उत्सव था सीता स्वयंवर. सीता स्वयंवर की कथा मिथिला की सबसे मनोहारी कथा है. सीता जी ही राम जी का वरण कर रही हैं. सुमंगल अवसर पर सीता स्वयंवर आयोजित होता है. सभी देश के राजा स्वयंवर में आते हैं. देव दनुज सातों द्वीप के राजा सीता स्वयंवर में आए, लेकिन शिव धनुष को कोई हिला भी न सका. देवता भी मानव शरीर धारण कर मिथिला में सीता स्वयंवर में आए. मिथिला राज्य का सबसे बड़ा उत्सव सीता स्वयंवर ही था.

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