पुपरी. कृषि विज्ञान केंद्र बलहा मकसूदन सीतामढ़ी के प्रशिक्षण सभागार में टीडीसी – निकरा परियोजना अंतर्गत जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन वरीय वैज्ञानिक व प्रधान डॉ राम ईश्वर प्रसाद ने दीप प्रज्वलित कर किया. उन्होंने कहा कि टीडीसी – निकरा परियोजना पिपराढ़ी गांव में पिछले दो वर्षो से चल रही है. जिसके अंतर्गत धान की सीधी बुवाई, गेहूं की जीरो टिलेज विधि से बुवाई, धान की जलवायु अनुकूल प्रभेद जैसे स्वर्णा सब-1, गेहूं की जलवायु अनुकूल प्रभेद जैसे डीबीडब्लू 187, सब्जियों में मलचिंग इत्यादि का प्रत्यक्षण कराया जा रहा है, जिसके माध्यम से लागत खर्च को कम व भूमि की उर्वरता को बढ़ाया जा रहा है. पीआई मनोहर पंजीकार ने कहा कि यह बाढ़ प्रभावित जिला है, जहां मुख्य खरीफ फसल धान की खेती प्रभावित होती है. इसको ध्यान में रखते हुए पिपराढ़ी गांव में धान की जलमग्न प्रजाति स्वर्णा सब-1 का प्रत्यक्षण कराया जा रहा है. यह प्रजाति पानी को बर्दाश्त करता है व उपज में कोई कमी नहीं होती है. प्रशिक्षण प्रभारी सह पशु चिकित्सा वैज्ञानिक डॉ किंकर कुमार, कृषि प्रसार वैज्ञानिक डॉ पिनाकी रॉय, सीआरए के तकनीकी सहायक स्वाति सिन्हा ने कहा कि जलवायु अनुकूल खेती में पशुपालन का महत्वपूर्ण स्थान है. पशुपालन के माध्यम वर्मीकंपोस्ट का निर्माण होता है जो खेत में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा को बढ़ाता है. ऐसे में जलवायु अनुकूल कृषि में पशुपालन को अपनाने की जरूरत है. बाद में वरीय वैज्ञानिक द्वारा किसानों के बीच प्रत्यक्षण के लिए धान की जलवायु अनुकूल प्रभेद स्वर्णा सब -1 के बीज का वितरण किया गया. प्रशिक्षण सह इनपुट वितरण में श्याम बिहारी राय, सुरेंद्र कुमार निराला, रणधीर कुमार, नवल महतो, रामदयाल महतो व जितेंद्र कुमार समेत अन्य मौजूद थे.
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