अब परीक्षा में दूसरे स्कूल के शिक्षक होंगे वीक्षक

शिक्षा विभाग शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए बराबर प्रयोग करता रहा है. एक और प्रयोग करने का जा रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 1, 2024 9:17 PM

सीतामढ़ी. शिक्षा विभाग शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए बराबर प्रयोग करता रहा है. एक और प्रयोग करने का जा रहा है. प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के अर्द्ध वार्षिक परीक्षा होनी है. अब तक जिस स्कूल में परीक्षा होती है, उसी स्कूल के शिक्षक परीक्षा लेते है. यानी वीक्षक का काम करते रहे है और परीक्षा बाद कॉपी चेक करते है. इस बार यह पैटर्न बदला जा रहा है. यानी परीक्षा होगी, तो वीक्षक का कार्य दूसरे स्कूल के शिक्षक करेंगे और कॉपी तीसरे स्कूल के शिक्षक चेक करेंगे. विभाग के एसीएस ने इस नए नियम से डीईओ व डीपीओ, स्थापना को अवगत करा दिया है.

— 18 सितंबर से होनी है परीक्षा

प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में 18 सितंबर 24 से परीक्षा शुरू होनी है. विभाग ने कहा है कि शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए इस परीक्षा में हर विद्यालय में वीक्षण का कार्य दूसरे विद्यालयों के शिक्षकों से कराने व उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन भी दूसरे विद्यालय के शिक्षकों से कराने का निर्णय लिया गया है. दरअसल, विभाग यह जानना चाहता है कि शिक्षक अपने स्कूल के बच्चों को किस हद तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देते है. इसका पता तब चलेगा, जब परीक्षा के बाद बच्चों को मिले अंक को प्रदर्शित किया जायेगा.

— तैयार होगा मूल्यांकन पत्र

विभाग ने कहा है, शिक्षकों के शिक्षण का मूल्यांकन का आधार उस स्कूल में अध्ययनरत्त छात्र/छात्राओं के परीक्षाफल पर निर्धारित करने के लिए शैक्षणिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन तैयार करने और इसकी प्रविष्टि संबंधित शिक्षक के वार्षिक मूल्यांकन प्रतिवेदन में दर्ज करने का निर्णय लिया गया है. विभागीय एसीएस डॉ एस सिद्धार्थ ने डीईओ व डीपीओ को भेजे पत्र में कहा है कि इस छमाही परीक्षा का महत्व छात्र, छात्राओं के साथ ही शिक्षकों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है. शिक्षकों से अपेक्षा की गई है कि वार्षिक परीक्षा के सिलेबस को परीक्षा के पूर्व समय पर पूर्ण करेंगे. यह भी कहा गया है कि सिलेबस को पूरा कराने के लिए शिक्षक अतिरिक्त कक्षा का भी आयोजन कर सकते है. ताकि संबंधित स्कूल के छात्र/छात्र इस अर्धवार्षिक परीक्षा में अच्छे अंको से सफल हो. शिक्षा एवं शिक्षण की गुणवत्ता में गुणात्मक सुधार करने के उद्देश्य से ही सरकार द्वारा उक्त निर्णय लिया गया है.

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