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समभाव से स्वस्थ समाज की स्थापना करना ही रामायण का उद्देश्य

प्रखंड के चंदौली गांव स्थित श्री राधा कृष्ण मंदिर परिसर में आयोजित श्री राम कथा के छठे दिन कथावाचक श्रीश्री राघव शरण जी महाराज ने प्रभु श्री राम के वन गमन प्रसंग पर

बेलसंड. प्रखंड के चंदौली गांव स्थित श्री राधा कृष्ण मंदिर परिसर में आयोजित श्री राम कथा के छठे दिन कथावाचक श्रीश्री राघव शरण जी महाराज ने प्रभु श्री राम के वन गमन प्रसंग पर मार्मिक तरीके से प्रकाश डाला. कहा, केकैयी माता द्वारा भरत को राज्य व श्री राम को चौदह वर्ष का वनवास इन शब्दों के वाण ने महाराज दशरथ को धराशायी कर दिया, हा राम! कहते हुए महाराज के प्राण पखेरू उड़ गए. अयोध्या अनाथ सी हो गई. अयोध्या से राम रूपी आनंद, सीता रूपी शांति व लक्ष्मण रूपी वैराग्य चले गए. पूज्य श्री के वाणी से दर्शक बार-बार भाव विह्वल हो रहे थे. भक्त व भगवान के मिलन के रूप में निषाद राज से प्रभु श्रीराम के मिलन के दृश्य पर विस्तार से चर्चा की गई. कहा, भक्त के समक्ष भगवान प्रेमवश निरुत्तर हो जाते हैं. रामायण के माध्यम से कविवर तुलसीदास जी ने समाज में व्याप्त कुरीतियों व विसंगतियों को दूर करके समभाव से स्वस्थ समाज की स्थापना करना चाहते थे. मौके पर आयोजक आशुतोष, परितोष उर्फ पिंकू जी व मुख्य यजमान रत्नेश्वर सिन्हा, मंदिर कमेटी के सदस्य व ग्रामीण रामप्रवेश सिंह, भाग्य नारायण सिंह, ध्रुव नारायण सिंह, पप्पू सिंह, गुड्डू सिंह, पं सुबोध ठाकुर,साकेत सिंह व मनोज सिंह समेत अन्य मौजूद थे.

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