दो सौ से बढ़कर एक हजार हो गये सफाई कर्मी, पर स्वच्छता का अभाव
आज से दो-ढ़ाई वर्ष पूर्व तक तत्कालीन नगर परिषद में करीब दो सौ सफाई कर्मचारी पूरे शहर की साफ-सफाई, नाला उड़ाही व कचरा उठाव का काम संभाल रहे थे.
सीतामढ़ी. आज से दो-ढ़ाई वर्ष पूर्व तक तत्कालीन नगर परिषद में करीब दो सौ सफाई कर्मचारी पूरे शहर की साफ-सफाई, नाला उड़ाही व कचरा उठाव का काम संभाल रहे थे. वहीं, आज चार आउटसोर्सिंग एजेंसियां काम कर रही हैं, लेकिन शहर में साफ-सफाई की व्यवस्था में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिल रहा है. जानकारी के अनुसार, इन एजेंसियों के पास करीब एक हजार से अधिक सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं. नगर निगम का खर्च भी पहले की तुलना में काफी बढ़ गया है. बोर्ड की तमाम बैठकों में विभिन्न वार्डों के वार्ड पार्षदों की ओर से सफाई, नाला उड़ाही एवं कचरा उठाव को लगातार शिकायतें आती रही और पुराने एजेंसियों के एग्रीमेंट रद्द कर नया टेंडर निकालने की मांग होती रही. पार्षदों की नाराजगी को देखते हुए पूर्व में कार्यरत दो में से एक एजेंसी का एग्रीमेंट रद्द कर कुछ महीने पूर्व ही फिर से टेंडर निकाला गया था. इसमें तीन नयी एजेंसियों को ठेका दिया गया. पूर्व के गौरी शंकर नामक एजेंसी कार्यरत रही. नयी एजेंसियों में मॉर्यन, विशाल कंस्ट्रक्शन व टेक्नो फैशिलिटी नामक एजेंसियां काम करने लगी. इसके बाद किसी ने नयी एजेंसियों को नियम के विरुद्ध टेंडर देने की विभाग से शिकायत कर दी, जिसके बाद विभागीय आदेश के आलोक में बीते दिनों संपन्न बोर्ड की बैठक में एक बार फिर से नया टेंडर निकालने का निर्णय लिया गया है. उक्त बैठक में भी कई पार्षदों ने सफाई व्यवस्था को लेकर नाराजगी जाहिर की थी. इस तरह पिछले करीब दो वर्ष के अंदर टेंडर-टेंडर का खेल चल रहा है, लेकिन सफाई व कचरा प्रबंधन व्यवस्था में कोई सुधार होता नहीं देख शहरवासी परेशान हैं.
परेशानी होने पर मोहल्लेवासियों को खुद जलाना पड़ता है कचरा
शहरवासी मनोज कुमार, शैलेंद्र कुमार, मंजू देवी व सरिता देवी ने बताया कि नगर परिषद के जमाने में सफाई का जो हाल था, आज भी वही हाल है. राकेश सिंह व संजय कुमार ने बताया कि पहले नगर परिषद में कम सफाई कर्मचारी थे. उस वक्त जितनी साफ-सफाई रहती थी, आज इतने अधिक कर्मचारी हैं, फिर भी कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है. शहरवासियों के टैक्स के पैसे सफाई के नाम पर पानी की तरह बहाया जा रहा है, लेकिन परिणाम संतोषजनक नहीं है. मोहल्लों के खाली प्लॉटों में सालों से जमा कचरा वहीं सड़ रहा है. डस्टबिन गायब हो चुके हैं. कचरे के ढ़ेर जब परेशान करने लगता है, तो शहरवासियों को उससे मुक्ति के लिये खुद कचरे को जलाकर नष्ट करना पड़ रहा है. कचरे के कारण मोहल्लों के लोग मच्छरों के हमले और दुर्गंध से परेशान हैं.
बोले नगर आयुक्त
विभागीय पत्र व बोर्ड की बैठक में लिये गये निर्णय के आलोक में फिर से नया टेंडर निकाला जायेगा. तबतक पुरानी एजेंसियां ही काम करती रहेंगी. स्वच्छता व कचरा प्रबंधन की व्यवस्था को जल्द दुरुस्त किया जायेगा. – प्रमोद कुमार पांडेय, नगर आयुक्त
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